उन्होंने कहा कि यह सभी डॉक्टरों का धर्म होना चाहिए। रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल प्रबंधन भी इसी उद्देश्य को लेकर कार्य कर रहा है। अपनी बेहतर सेवा और इलाज के बल पर ही रामकृष्ण केयर मध्य भारत का नेतृत्व करना चाहता है। पत्रिका से खास बातचीत में डॉ. तनुश्री ने कई अहम मु²ों से बेबाकी से जवाब दिया है। उन्होंने इस दौरान कई ऐसी बाते भी कहीं जो कि वर्तमान में एक बड़ी समस्या है।
सवाल : सामान्य ऑपरेशन के जितना ही डरें जीआई ऑपरेशन से जवाब : डॉ. तनुश्री सिद्धार्थ ने जीआई सर्जरी यानि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के ऑपरेशन के बारे में बताया कि सामान्य ऑपरेशन और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के ऑपरेशन को लेकर लोगों जानना चाहिए। समान्य आपरेशन की बात करें तो इसका काफी बड़ा स्वरूप है। वहीं जीआई सर्जरी में हम सुपर स्पेशलाइजेशन यानि एमसीएच कर चुके हैं। यह एमएस सर्जरी के बाद करते हैं। जीआई सर्जरी काफी एडवांश फील्ड है। इसका ऑपरेशन काफी कठिन होता है। इस ऑपरेशन को करने के लिए हॉस्पिटल में इंफ्रस्ट्रक्चर और स्पेशलाईजेशन की जरूरत होती है। इसके लिए पोस्ट ऑफ केयर विशेष दक्षता की जरूरत है। जो लोग जीआई सर्जरी से डरते हैं वह बिल्कुल न डरें। जितना एक सामान्य सर्जरी में डर रहता है उतना ही डर जीआई सर्जरी में होता है। जीआई सर्जरी कराने से पहले अच्छा संस्थान चुनने के साथ ही डॉक्टर के साथ बैठकर उसके विशेष योग्यता और हॉस्पिटल के पोस्ट ऑफ केयर के बारे में जरूर जानना चाहिए।
सवाल : अधिक खर्च के चलते गरीब प्राईवेट हॉस्पिटल में इलाज कराने से डरता है। यह कितना सही है?
जवाब : एक बड़े प्राईवेट हॉस्पिटल, नर्सिंग होम और शासकीय चिकित्सालयों की बात करें तो तीनों के इलाज का खर्च लगभग एक बराबर है। तीनों जगह एक कीमत की दवा उपयोग की जाती है। जेनरिक दवाएं प्राईवेट हॉस्पिटल भी उपयोग करते हैं। कई बार मरीज की स्थिति को देखते हुए उसे नॉन जेनरिक दवा देना पड़ता है। प्राईवेट हस्पिटल को सरकार से कोई फंडिंग नहीं होती है। उसे इलाज के पैसों से ही हॉस्पिटल के रखरखाव और सुविधाओं को बढ़ाना होता है। जब प्राईवेट हॉस्पिटल इलाज की सुविधा को बढ़ाएगा तो उसके इलाज का खर्च निश्चित तौर पर बढ़ेगा। जैसे सामान्य वार्ड में इलाज वही होता है जो कि विशेष वार्ड में होता है, लेकिन वहां वह सुविधाएं नहीं मिलेंगी जो विशेष वार्ड में मिलती है। इससे विशेष सुविधाएं देने के लिए इलाज का खर्च बढ़ाना ही पड़ेगा।
सवाल : शासन की योजनाओं के तहत हॉस्पिटल में इलाज कराने पर काफी कम दर लिया जाता है। वही दर समान्य रूप से इलाज कराने में क्यों नहीं लागू होता है? जवाब : शासन की योजना के तहत जो भी इलाज इलाज होता है उसके लिए निर्धारित बेड होते हैं। उसका एक अलग वार्ड होता है। वहां इलाज तो सही होता है, लेकिन अन्य सुविधाएं उतनी नहीं मिलती जितनी समान्य इलाज कराने पर मिलती हैं। यदि हम सभी बेड में शासन की योजना से आए मरीजों को भर्ती कर इलाज करने लगे तो उतना बेहतर इलाज और उसकी व्यवस्था कर पाना किसी भी हॉस्पिटल प्रबंधन के लिए मुमकिन नहीं हो पाएगा। इसलिए ऐसे मरीजों के लिए बेड की संख्या निर्धारित कर दी जाती है।
सवाल : आज के समय में डॉक्टरों में सेवा भाव की कमी क्यों होती जा रही है? जवाब : हमारा जो पेशा है वह सेवा क्षेत्र से जुड़ा हुआ माना जाता है, लेकिन डॉक्टर को भी एक सुविधा पूर्ण जीवन जीने का अधिकार है। यदि वह गांव में सेवा देगा तो उसने उतनी सुविधाएं, सुरक्षा, रहन सहन का स्तर नहीं मिल पाएगा। अगर ग्रामीण क्षेत्र में सभी सुविधाएं मिलेंगी तो निश्चित तौर पर वह वहां अपनी सेवा देगा।
सवाल : आज डॉक्टर मशीनों पर डिपेंड हो रहे हैं। मर्ज का पता करने के लिए कई जांच कराते हैं। यह कितना सही है? जवाब : हमारा जो पेशा है वह पूरी तरह से वैज्ञानिक है। हम एविडेंस बेस्ड पढ़ाई करते हैं और उसी के आधार पर इलाज भी करते हैं। आज भी आयुर्वेदिक, होम्योपैथी जैसे कई पद्धति से इलाज होता है। वह कैसे इलाज करते हैं और क्या वह सही इस पर मैं कोई कमेंट करना सही नहीं समझती हूं। सभी अपनी-अपनी पढ़ाई के मुताबिक इलाज करते हैं।
सवाल : शासकीय अस्पतालों और प्राईवेट अस्पताल के बजट में काफी अंतर होता है। कम बजट पर प्राईवेट हॉस्पिटल का मैनेजमेंट अधिक बेहतर है। यह कैसे संभव हो पाता है? जवाब : हमारा विज्ञान साक्ष्य पर आधारित होता है। इसके लिए ट्रेनिंग और वर्कशॉप करना बहुत ही जरूरी है। यदि हम दो चीजे सुधार लें पहला अनुशासन और दूसरा ट्रेनिंग व वर्कशॉप करके इलाज की पद्धति को बेहतर करना तो हम वहां भी अच्छा कर सकते हैं।