नेपाल जा रही लूट-चोरी की मोबाइल शहर में लूट और चोरी की मोबाइल लोकल स्तर पर खरीदने के बाद नेपाल में बेच दिया जाता है। वहां से पुलिस इन मोबाइलों को बरामद नहीं कर पाती है। तेलीबांधा में पुलिस ऐसे गिरोह का खुलासा कर चुकी है। इसके अलावा मोबाइल दुकान से चोरी हुए मोबाइल भी अलग-अलग माध्यम से वहीं पहुंचते हैं।
तेज रफ्तार बाइक का इस्तेमाल मोबाइल लूट की हर वारदात में दो आरोपी होते हैं। एक ड्राइव करता है और दूसरा मोबाइल या पर्स लूटता है। लुटेरे हाईस्पीड बाइक का इस्तेमाल करते हैं। आदतन लुटेरे दिन हो या रात शहर में घूमते रहते हैं। इस बीच जो भी पैदल या दोपहिया में मोबाइल में बात करते मिल जाते हैं, उन्हें लूटकर भाग निकलते हैं।
लूट की जगह दर्ज करते हैं चोरी मोबाइल लूट की वारदात को लेकर थानेदार भी अनदेखी करते हैं। घटना मोबाइल छिनने या लूटने की होती है, लेकिन थाने में एफआईआर चोरी की दर्ज करते हैं। यही वजह है कि अगर आरोपी पकड़ में भी आते हैं, तो सजा कम मिलती है और आसानी से जमानत पर छूट जाते हैं। फिर दोबारा लूट करना शुरू कर देते हैं।
हर इलाके में हो रही घटना मोबाइल लूटने की वारदात शहर के लगभग हर इलाके में हो रही है। उरला, खमतराई, सरस्वती नगर, डीडी नगर, सिविल लाइन, धरसींवा आदि इलाकों में लूट की कई वारदातें हो चुकी हैं। मोबाइल लूटने वालों को किसी का डर नहीं है। वारदात करते ही आसानी से भाग निकले हैं।
इसलिए लूटते हैं मोबाइल अधिकांश लोग पैदल या वाहन में चलते समय भी मोबाइल में बात करते हैं, जिससे वे अपने आसपास ध्यान नहीं दे पाते हैं। और असुरक्षित भी होते हैं। इसलिए जैसे ही उनके हाथ से मोबाइल लूटते हैं, वो तत्काल कुछ नहीं कर पाते हैं।
पैदल चलते हुए मोबाइल में बात करते हैं। इस कारण लुटेरों का पीछा नहीं कर पाते हैं।
महिलाओं और बुजुर्गों लुटेरों का ज्यादा प्रतिरोध नहीं कर पाते हैं। इस कारण आसानी से शिकार बनते हैं।
लूटे हुए मोबाइल का शहर में आसानी से खपत होना भी इस तरह की वारदातों को बढ़ा रहा है।
लुटेरे दोपहिया ड्राइङ्क्षवग में मास्टर होते हैं। इसलिए आसानी से भाग जाते हैं और पकड़ में नहीं आते हैं।
पैदल चलते हुए मोबाइल में बात करते हैं। इस कारण लुटेरों का पीछा नहीं कर पाते हैं।
महिलाओं और बुजुर्गों लुटेरों का ज्यादा प्रतिरोध नहीं कर पाते हैं। इस कारण आसानी से शिकार बनते हैं।
लूटे हुए मोबाइल का शहर में आसानी से खपत होना भी इस तरह की वारदातों को बढ़ा रहा है।
लुटेरे दोपहिया ड्राइङ्क्षवग में मास्टर होते हैं। इसलिए आसानी से भाग जाते हैं और पकड़ में नहीं आते हैं।
बढ़ रही लूट की घटनाएं वर्ष 2020 में लूट के 55 मामले दर्ज हुए थे, जो 2021 में बढ़कर 73 हो गई। इनमें से 53 में पुलिस ने अपराध दर्ज किया था। पुलिस ने लूट के कुल 132 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इस साल भी लूटपाट की 60 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन पुलिस ने अधिकांश में चोरी का मामला दर्ज किया है।
लुटेरे करते हैं पलटवार पीछा करने पर गाड़ी में पैर मारकर गिरा देते हैं।
चाकू से वार करते हैं
आंख में मिर्च या स्प्रे छिड़क देते हैं रायपुर एएसपी-ईस्ट तारकेश्वर पटेल ने बताया कि मोबाइल चोरी और लूट के कई मामलों को पुलिस सुलझा चुकी है। कुछ मामलों के आरोपी पकड़े नहीं गए हैं, उनकी तलाश की जा रही है। पुलिस की साइबर सेल की टीम भी लगातार इन घटनाओं की जांच करती रहती है।
चाकू से वार करते हैं
आंख में मिर्च या स्प्रे छिड़क देते हैं रायपुर एएसपी-ईस्ट तारकेश्वर पटेल ने बताया कि मोबाइल चोरी और लूट के कई मामलों को पुलिस सुलझा चुकी है। कुछ मामलों के आरोपी पकड़े नहीं गए हैं, उनकी तलाश की जा रही है। पुलिस की साइबर सेल की टीम भी लगातार इन घटनाओं की जांच करती रहती है।