ब्लड, यूरिन और गैस्ट्रिक से जांच जहर सेवन करने वाले पीडि़त के ब्लड, यूरिन या गैस्ट्रिक लवाज (पेट का पानी) से सैंपल लेकर मशीन से जांच की जाएगी। मशीन १९ मिनट में बता देगी कि कौन सा जहर कितनी मात्रा में खाया गया है। यदि मरीज की हालत दवाओं के ओवरडोज से बिगड़ी है तो इसकी भी जानकारी मिल जाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि पीडि़त ने कौन सी दवा और कितनी मात्रा में खाया है, उसकी सटीक जानकारी मिलेगी। इससे डॉक्टरों को इलाज करने में काफी आसानी होगी। ब्लड, यूरिन या गैस्ट्रिक लवाज का सैंपल लेने से लेकर रिपोर्ट आने तक संभवत: १ घंटे का समय लगेगा। विशेषज्ञों की मानें तो सैंपल जांच के लिए कर्मचारियों को ज्यादा प्रशिक्षण की भी जरूतर नहीं होगी।
छोटे बच्चों के लिए काफी फायदेमंद प्रदेश के छोटे बच्चों के लिए एनॉलिटिकल टॉक्सीकोलॉजी लैब काफी कारगर सिद्ध होगा। यदि कोई बड़ा व्यक्ति जहर सेवन करता है तो इलाज करने के थोड़ी देर बाद बता देता है कि उसने कौन सी दवा या पदार्थ खाया है, लेकिन छोटे बच्चे नहीं बता पाते। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदेश के कई क्षेत्रों से अक्सर यह बात सामने आती है कि बच्चों ने कुछ खा लिया है और उनकी तबीयत बिगड़ गई है। बच्चे अचेतावस्था में रहते हैं, जिससे डॉक्टरों को इलाज करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी हादसा भी हो जाता है। बच्चे यदि होश में भी हों तो नहीं बता पाते कि उन्होंने क्या खाया है? एनॉलिटिकल टॉक्सीकोलॉजी लैब से यह समस्या दूर हो जाएगी।
एम्स के सभी विभागों में सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। फॉरेंसिक विभाग में एनॉलिटिकल टॉक्सीकोलॉजी लैब का निर्माणकार्य जल्द ही शुरू किया जाएगा। भवन है, सिर्फ लैब की तरह रिनोवशेन कार्य कराना है। मशीन भी जल्द मंगाई जाएगी। प्रदेश के लोगों को जल्द से जल्द इसकी सुविधा देने का प्रयास किया जा रहा है।
डॉ. (प्रो.) नितिन एम नागरकर, निदेशक, एम्स, रायपुर