नहरों से पर्याप्त मिला पानी
जांजगीर जिले में प्रदूषण स्तर गिरने के साथ ही नहरों से पर्याप्त पानी मिला।जिले में नहर का जाल 88 प्रतिशत क्षेत्र में फैला है। इनमें बांगों बांध से जल प्रदाय होता है। तकरीबन 1 लाख हेक्टेयर में रबी फसल के लिए नहर से पानी छोड़ा गया गया। जिले में 15 नगरीय निकाय है। जहां इस साल टैंकरों में लगने वाले फ्यूल खर्च को बचा लिया गया।हैंडपम्प नहीं सूखे
लॉकडाउन के कारण कोरिया जिले में भी वाटर लेवल में कम गिरावट दर्ज की गई है। पीएचई के अनुसार इस बार कम हैंडपम्प सूखे है। जिले में वाटर लेवल में 3 फीट तक बढ़ा है। जिले के दो बड़े जलाशय में 56 फीसदी जलभराव है। जबकि पिछले साल 49 फीसदी जल भराव था।जंगल और बांधों में पर्याप्त पानी
उद्योग बंद रहने के कारण भू-जल स्तर इस साल बेहतर है। यहां के 4 बांधों में 20 से 60 प्रतिशत तक पानी भरा है। जंगल में पानी की मात्रा बेहतर है, जानवरों के लिए छोटे-छोटे जलाशय बनाए गए हैं। टैंकर से जल आपूर्ति नहीं करनी पड़ी जिससे लगभग 5 करोड़ रुपए की बचत हुई है।भूगर्भ जल रिचार्ज हुआ
लॉकडाउन में उपयोग कम होने से सरगुजा क्षेत्र के नदी, नालों, तालाबो में इस बार भरपूर पानी है। इससे भूगर्भ जल रिचार्ज हुआ है। अप्रैल, मई की बारिश से किसानों को लाभ मिला। जंगल में झरनों, तालाबों, डैम में पानी अधिक है। जंगल में हरियाली बढ़ी है। टैंकर से आपूर्ति नहीं होने पर लगभग 25 लाख रुपए बचे।कोरबा में प्रदूषण घटा
कोरबा शहर क्रिटिकल पोल्यूटेड सिटी में शामिल है। लाकडाउन की अवधि में प्रदूषण इतना कम हुआ कि धूल और धुंध की चादर अब नहीं दिखती। बांगो बांध में पर्याप्त पानी है। पेयजल के लिए 133 एमएलडी पानी निगम को मिलता है जबकि 13 उद्योगों को भी पानी यहीं से दिया जाता है। हालांकि वन मंडल कोरबा व कटघोरा के जंगलों में पानी की किल्लत है। पानी के लिए भटकते हुए चीतल शहर की ओर आए और हमले का शिकार हुए।