तीन देवियां नहीं विराजी, इसलिए सिंदूर खोला नहीं : बंगाली कालीबाड़ी में पहली बार केवल दुर्गा पूजन की रस्में की जा रही है। षष्ठी तिथि पर कलश स्थापित कर पूजन कर रहे हैं। सिटी महाकालीबाड़ी समिति के महासचिव गौतम मजूमदार ने बताया कि मां दुर्गा के साथ माता लक्ष्मी, सरस्वती और गणेश व कार्तिकेय की प्रतिमा नहीं विराजी गई।
सिंदूर खेला तब होता है तीनों देवियों को सिहागिनें पहले सिंदूर चढ़ाती है फिर उसे एक-दूसरे को लगाकर सदासुहागन की कामना करती है, परंतु इस बार कलश पूजन हो रहा है, इसमें सिंदूर खेलने की परंपरा नहीं है। अष्टमी और नवमी तिथि की युति में संधि पूजन होगा और रखिया, गन्ना और केला की बलि देने की रस्में अदा करेंगे। अन्न का भोग भी नहीं लगेगा।