कैंसर की शुरुआती जांच और इलाज से बेहतर हुए गंभीर मरीज
- कैंसर के बारे में आंकड़े बेशक चिंताजनक हैं और पेट के कैंसर के आंकड़े भारत में 3 से 12 प्रकरण प्रति एक लाख हैं, साथ ही इसके शुरुआती लक्षण जैसे जी मचलाना, पेट में दर्द होना, काले रंग का मल आना आदि पेट से संबंधित अन्य आम समस्याओं के होने का भ्रम भी पैदा कर सकती हैं।

रायपुर. एनएचएमएमआई नारायणा सुपरस्पेश्यालिटी हॉस्पिटल में इलाज के बाद स्टेज-3 स्टमक कैंसर और पैन्क्रियाटिक कैंसर के गंभीर मरीज वापस जिंदगी में लौट चुके हैं। हॉस्पिटल के चिकित्सक डॉ. मउ रॉय, डॉ. सिद्धार्थ तुरकर और डॉ.पीयूष शुक्ला, ऑन्कोलॉजी टीम ने बताया कि पिछले वर्षों से देखा गया है कि कैंसर के संदर्भ में जागरुकता बढ़ी है लेकिन इसके आधुनिक इलाज के तरीकों और कैंसर के व्यापक क्षेत्र के बारे में जानकारी लोगों में अब भी पहुंचने की ज़रूरत है।
कैंसर के बारे में आंकड़े बेशक चिंताजनक हैं और पेट के कैंसर के आंकड़े भारत में 3 से 12 प्रकरण प्रति एक लाख हैं, साथ ही इसके शुरुआती लक्षण जैसे जी मचलाना, पेट में दर्द होना, काले रंग का मल आना आदि पेट से संबंधित अन्य आम समस्याओं के होने का भ्रम भी पैदा कर सकती हैं।
इनमें सबसे गंभीर केस माधवी का था, वे एनएचएमएमआई स्टेज-3 स्टमक कैंसर के साथ आई थीं। उनके सर्जरी समेत कीमोथैरेपी के चार साइकल्स हुए फि र अजुवेंट कीमोथैरेपी के चार साइकल्स हुए। बेशक यह केस जटिल था। बीते एक वर्ष से बेहतर स्थिति में हैं।
एक अन्य मरीज सरस्वती कोसीमा ने भी अपने स्टेज-3 स्टमक कैंसर के बारे में अनुभव साझा किया। 14 साल पहले उनकी पेट की सर्जरी के साथ-साथ छह साइकल्स कीमोथैरेपी के भी हुए। अब वे सामान्य जिंदगी जी रही हैं। जिन मरीजों ने अपने इलाज और इलाज के बाद के अनुभव साझा किए, वे निश्चित रूप से इस बात का उदाहरण हैं कि कैंसर पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
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