संचालक, महामारी नियंत्रक डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया, जिन मरीजों के घरों में डोनर नहीं है या मेडिकल अनफीट हैं, उन्हें ब्रेनडेड आर्गन की जरूरत ज्यादा पड़ती है। ऐसे जरूरतमंद जिन्हें आर्गन ट्रांसप्लांट कराना है, वह जिस अस्पताल में ट्रांसप्लांट कराना चाहते हैं वहां 5 हजार रुपए फीस जमा कर डीकेएस हॉस्पिटल के प्रथम मंजिल स्थित स्टेट टिशू एंड आर्गन ट्रांसप्लांट संगठन (सोटो) कार्यालय में रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इसके अलावा डायल-104 के माध्यम से भी पंजीयन किया जा सकेगा। रजिस्ट्रेशन होने के बाद इसकी वेटिंग लिस्ट सोटो कार्यालय में लगाई जाएगी। साथ ही अस्पतालों को अनुमति दी जाएगी। आर्गन मिलते ही ट्रांसप्लांट शुरू कर दिया जाएगा।
सोमवार से अस्पतालों का निरीक्षण
कैडेवर ट्रांसप्लांट के लिए अस्पतालों से आवेदन आ रहे हैं। इसके निरीक्षण के लिए आदेश मिल गए हैं, लेकिन लगातार छुट्टियां पड़ने के कारण निरीक्षण ही नहीं हो पाया है। एमएमआई नारायणा हॉस्पिटल, रामकृष्ण हॉस्पिटल व बालाजी हॉस्पिटल का कैडेवरिक ट्रांसप्लांट के लिए जायजा लिया जाना है। डॉ. मिश्रा ने बताया, सोमवार से बुधवार तक इन तीन दिनों में अस्पतालों का निरीक्षण किया जाना है। वहां ट्रांसप्लांट के लिए व्यवस्थाएं देखने के बाद अनुमति दी जाएगी। बता दें कि कैडेवर ट्रासंप्लांट के लिए भिलाई सेक्टर-9 में स्किन बैंक बनाने की अनुमति पहले ही मिल गई है।
मृतक के परिवार वालों को किया जाएगा जागरुक
महामारी नियंत्रक संचालक डॉ. मिश्रा ने बताया, कैडेवरिक ट्रांसप्लांट के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिया गया है। ब्रेनडेड व्यक्ति के शरीर को डोनेट करने के लिए उनके परिवार के लोगों से बात कर जागरुक किया जाएगा। इसके लिए काउंसिलिंग की जाएगी। कैडेवरिक ट्रांसप्लांट में अब तक कार्निया का होता रहा है, लेकिन अब किडनी व लीवर का हो सकेगा। धीरे-धीरे अन्य अंगों का भी प्रत्यारोपण शुरू किया जाएगा। गुरुवार से पंजीयन शुरू किया गया है। पहले दिन किसी का भी रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है।