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मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान का असर, मलेरिया पीडि़तों की संख्या घटी

locationरायपुरPublished: Jul 28, 2020 07:01:48 pm

Submitted by:

lalit sahu

पहले चरण के दौरान जांच में मिले थे 4.60 प्रतिशत मरीज, दूसरे चरण में अब तक 1.31 प्रतिशत ही मिलेअभियान के दूसरे चरण में अब तक 22.34 लाख लोगों की जांच, मलेरिया के साथ ही अनीमिया और कुपोषण मुक्ति की पहलभारत सरकार ने भी सराहा है मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान को

मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान का असर, मलेरिया पीडि़तों की संख्या घटी

मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान का असर, मलेरिया पीडि़तों की संख्या घटी

रायपुर. बस्तर संभाग में मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान का असर दिखने लगा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस साल जनवरी-फरवरी में इसके पहले चरण के दौरान 14 लाख लोगों से अधिक की जांच कर मलेरिया पॉजिटिव पाए गए लोगों का तत्काल इलाज किया गया था। उस समय जांच किए गए 14 लाख छह हजार लोगों में से 64 हजार 646 (4.60 प्रतिशत) मलेरिया पीडि़त पाए गए थे। अभी अभियान के दूसरे चरण के दौरान मलेरिया पॉजिटिव पाए गए लोगों की संख्या में उल्लेखनीय कमी देखी जा रही है। दूसरे चरण में अभियान का दायरा बढ़ाते हुए पहले से अधिक क्षेत्र एवं जनसंख्या को शामिल कर 23 लाख 46 हजार लोगों के परीक्षण का लक्ष्य रखा गया है। इस चरण में अब तक 22 लाख 34 हजार लोगों के रक्त की जांच की गई है जो कि लक्ष्य का 95.23 प्रतिशत है। इनमें से 1.31 प्रतिशत यानि 29 हजार 275 लोग मलेरिया पॉजिटिव्ह पाए गए हैं।
6 जून से शुरू मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के दूसरे चरण के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम अब तक चार लाख 71 हजार 879 घरों में मलेरिया की जांच कर चुकी है। इस दौरान आर.डी. किट से 22 लाख 34 हजार लोगों के रक्त की जांच कर पॉजिटिव पाए गए 29 हजार 275 लोगों का तत्काल इलाज शुरू किया गया है। मलेरिया पॉजिटिव पाए गए लोगों में 17 हजार 642 यानि 60.26 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जिनमें मलेरिया के कोई लक्षण नहीं थे। लक्षणरहित मलेरिया समय पर पहचान में नहीं आने के कारण अधिक बड़ी समस्या बन सकता है। यह अनीमिया और कुपोषण का भी कारण बनता है। इसलिए समय पर स्क्रीनिंग कर इसकी पहचान किया जाना अनीमिया और कुपोषण के उन्मूलन में भी लाभकारी सिद्ध होगा। जांच में शामिल 15 हजार 593 गर्भवती महिलाओं में से 306 पॉजिटिव पाई गईं। अभियान का दूसरा चरण 31 जुलाई तक चलेगा।
मलेरिया की जांच व उपचार के साथ ही सर्वे दल द्वारा लोगों को इससे बचाव और मच्छरदानी लगाकर सोने के लिए जागरूक किया जाता है। इसका भी सकारात्मक असर बस्तर में देखा गया है। अभी दूसरे चरण के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम ने विभाग द्वारा दिए गए मेडिकेटेड मच्छरदानी चार लाख 71 हजार 879 घरों में नियमित उपयोग करते हुए पाया। सर्वे दल द्वारा स्थानीय लोगों के साथ मिलकर 4964 घरों में मच्छरों का लार्वा नष्ट किया गया।
अभियान को सफलतापूर्वक संचालित करने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला अपनी टीम के साथ बस्तर के दूरस्थ अंचलों का लगातार दौरा एवं साप्ताहिक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से नियमित समीक्षा कर रही हैं। राज्य स्तर से प्रत्येक जिले के लिए नोडल अधिकारी भी नियुक्त किए गए हैं जो अभियान की जिलेवार प्रगति की अद्यतन स्थिति प्राप्त कर संचालक को अवगत कराते हैं। अभियान के लिए जांच किट और दवाईयां तथा अन्य आवश्यक संसाधन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, छत्तीसगढ़ द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान बस्तर संभाग के सभी सात जिलों के 30 ऐसे विकासखंडों में संचालित किया जा रहा हैं जहां से प्रति वर्ष प्रदेश में मलेरिया की 75-80 प्रतिशत शिकायतें आती हैं। वर्तमान में इस क्षेत्र के 3226 गांवों में 2804 सर्वे दल घर-घर जाकर सभी व्यक्तियों के रक्त की जांच कर रही है। मलेरिया पाए जाने पर दल के सदस्य पीडि़तों को तत्काल अपने सामने ही दवा की पहली खुराक खिलाते हैं। गांव में पदस्थ स्वास्थ्य अमले द्वारा मरीजों का नियमित फॉलो-अप किया जाता है। दवा लेते समय मरीज का पेट खाली न रहे, इसके लिए स्थानीय स्तर पर तैयार रेडी-टू-ईट खाद्य सामग्री भी खिलाते हैं। मरीज दवाई की पूरी खुराक ले रहे हैं या नहीं, इसकी स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं मितानिनें निगरानी करती हैं। पुष्टि के लिए मरीजों से दवाईयों के खाली रैपर भी संग्रहित किए जाते हैं। हर घर और हर व्यक्ति की जांच सुनिश्चित करने के लिए घरों में स्टीकर चस्पा कर जांच किए गए लोगों के पैर के अंगूठे में निशान लगाकर मार्किंग भी की जाती है।
वर्तमान में कोविड-19 के प्रकोप के बीच छत्तीसगढ़ में मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान संचालित करने की भारत सरकार ने सराहना की है। इस अभियान का क्रियान्वयन स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारिक सिंह के नेतृत्व में किया जा रहा है। मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान बस्तर को मलेरिया के साथ-साथ अनीमिया और कुपोषण से भी मुक्त करने के अभियान के रूप में मील का पत्थर साबित हो रहा है।

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