अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) स्थित सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन में अतिरिक्त प्रोफेसर कपिल यादव ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान गंभीर एनीमिया मातृ मृत्युदर और अन्य गंभीर बीमारियों के लिए भी जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा, ”ऐसे सबूत हैं जिनके मुताबिक गंभीर एनीमिया से समय पूर्व प्रसव और नवजात में बीमारियों तथा मृत्युदर का खतरा बढ़ जाता है। एनीमिया से किशोरियों की शारीरिक क्षमता और प्रजनन क्रिया भी प्रभावित होती है।
डॉक्टर यादव ने रेखांकित किया कि मौजूदा परिस्थितियों से निपटने के दो तरीके हैं- पहला नवजात बच्चों को ‘आयरन का पूरक आहार देना और दूसरा, अनाज में पोषक तत्वों को मिलाना। पब्लिक हेल्थ न्यूट्रिशन एंड डेवलपमेंट सेंटर की संस्थापक निदेशक और जन स्वास्थ्य पोषाहार विशेषज्ञ शीला वीर ने कहा कि एनीमिया की प्राथमिक वजह यह होती है कि नवजात का जन्म एनीमिया ग्रस्त मां से शरीर में कम आयरन के साथ होता है और यह भी छह महीने बाद तथा उचित आयरनयुक्त भोजन नहीं मिलने, पेट में कीड़े और मलेरिया जैसे कारणों से तेजी से कम होता जाता है।
उन्होंने कहा कि पोषाहार में विविधता, स्वच्छता को बढ़ाकर और आयरन को औषधीय पूरक के रूप में देकर इस समस्या से निपटा जा सकता है। दिल्ली स्थित लेडी हार्डिंग चिकित्सा महाविद्यालय में बाल रोग विभाग के निदेशक प्रवीण कुमार ने कहा कि भारत में एनीमिया गंभीर स्वास्थ्य समस्या है और एनीमिया मुक्त भारत अभियान के विभिन्न पहलुओं को लागू कर इससे निपटा जा सकता है।