एनीमिया के सभी कारणों से निपटने के प्रयास करने की जरूरत : स्वास्थ्य विशेषज्ञ
सरकार 'एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम चला रही है जिसका उद्देश्य वर्ष 2018 से 2022 तक हर साल बच्चों, वयस्कों और प्रजनन आयु की महिलाओं में एनीमिया के मामलों में तीन प्रतिशत की कमी लाना है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी उम्र के लोगों में एनीमिया को कम करने के लिए अभियान के तहत इसके कारणों को दूर करने का प्रयास करने पर जोर दिया है। एनीमिया पर समग्र राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण के मुताबिक देश में प्रजनन आयु की करीब आधी महिलाएं खून की कमी की शिकार हैं जबकि स्कूल पूर्व के 41 प्रतिशत बच्चे, स्कूल जाने वाले 24 प्रतिशत बच्चे और 28 प्रतिशत वयस्क भी एनीमिया के शिकार हैं।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) स्थित सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन में अतिरिक्त प्रोफेसर कपिल यादव ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान गंभीर एनीमिया मातृ मृत्युदर और अन्य गंभीर बीमारियों के लिए भी जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा, ''ऐसे सबूत हैं जिनके मुताबिक गंभीर एनीमिया से समय पूर्व प्रसव और नवजात में बीमारियों तथा मृत्युदर का खतरा बढ़ जाता है। एनीमिया से किशोरियों की शारीरिक क्षमता और प्रजनन क्रिया भी प्रभावित होती है।
डॉक्टर यादव ने रेखांकित किया कि मौजूदा परिस्थितियों से निपटने के दो तरीके हैं- पहला नवजात बच्चों को 'आयरन का पूरक आहार देना और दूसरा, अनाज में पोषक तत्वों को मिलाना। पब्लिक हेल्थ न्यूट्रिशन एंड डेवलपमेंट सेंटर की संस्थापक निदेशक और जन स्वास्थ्य पोषाहार विशेषज्ञ शीला वीर ने कहा कि एनीमिया की प्राथमिक वजह यह होती है कि नवजात का जन्म एनीमिया ग्रस्त मां से शरीर में कम आयरन के साथ होता है और यह भी छह महीने बाद तथा उचित आयरनयुक्त भोजन नहीं मिलने, पेट में कीड़े और मलेरिया जैसे कारणों से तेजी से कम होता जाता है।
उन्होंने कहा कि पोषाहार में विविधता, स्वच्छता को बढ़ाकर और आयरन को औषधीय पूरक के रूप में देकर इस समस्या से निपटा जा सकता है। दिल्ली स्थित लेडी हार्डिंग चिकित्सा महाविद्यालय में बाल रोग विभाग के निदेशक प्रवीण कुमार ने कहा कि भारत में एनीमिया गंभीर स्वास्थ्य समस्या है और एनीमिया मुक्त भारत अभियान के विभिन्न पहलुओं को लागू कर इससे निपटा जा सकता है।
अब पाइए अपने शहर ( Raipur News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज