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अब एम्स में कोरोना संक्रमित बच्चे, गर्भवती, बुजुर्ग और गंभीर मरीज होंगे भर्ती

locationरायपुरPublished: Jun 02, 2020 01:25:19 am

Submitted by:

VIKAS MISHRA

सामान्य लक्षणों वाले मरीजों का मेडिकल कॉलेज और अन्य अस्पताल में होगा इलाजएम्स और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की बैठक में निर्णय

अब एम्स में कोरोना संक्रमित बच्चे, गर्भवती, बुजुर्ग और गंभीर मरीज होंगे भर्ती

अब एम्स में कोरोना संक्रमित बच्चे, गर्भवती, बुजुर्ग और गंभीर मरीज होंगे भर्ती

रायपुर. छत्तीसगढ़ के कोरोना संक्रमित बच्चे, 60 साल से अधिक के बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और अन्य बीमारियों से जुझ रहे गंभीर मरीजों को अब कोविड-19 अस्पतालों में भर्ती नहीं किया जाएगा। अचानक तबीयत खराब होने पर तुरंत इलाज व वेंटीलेटर की सुविधा मिल देने के लिए मरीज को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश के अन्य कोविड अस्पतालों व मेडिकल कॉलेजों में वेंटीलेटर और अन्य सुविधाएं उपलब्ध है। गत तीन दिन पहले स्वास्थ्य विभाग और एम्स के आला अधिकारियों के बीच हुई बैठक में निर्णय लिया गया। छत्तीसगढ़ में अब 427 एक्टिव मरीज हैं, जिनका एम्स, माना सिविल अस्पताल, कोविड अस्पताल बिलासपुर, अंबिकापुर, रायगढ़, राजनांदगांव और जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है। रायपुर मेडिकल कॉलेज से संबद्ध आंबेडकर अस्पताल में भी 500 बिस्तरों का कोविड-19 अस्पताल तैयार है। एम्स के आयुष बिल्डिंग में कोरोना संक्रमित मरीजों को भर्ती कर इलाज के लिए आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। एम्स में अब तक सामान्य, गंभीर लक्षणों वाले सभी मरीजों को भर्ती किया जा रहा था। स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बरतते हुए नियमों में थोड़ी तब्दीली की है। अब कोरोना संक्रमित बच्चों, 60 वर्ष से अधिक के बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, हाइपरटेंशन, डायबिटीज, कार्डियो-वस्कुलर डिसीज, कैंसर, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी जैसी को-मॉर्बिडिटीज वाले को एम्स भेजा जाएगा। सामान्य लक्षणों वाले मरीजों का प्रदेश में संचालित कोविड-19 अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में इलाज होगा।
एम्स पर ज्यादा भरोसा
एम्स के आइसोलेशन वार्ड में एक शिफ्ट में 80 से ज्यादा डॉक्टर व स्टॉफ तैनात रहते हैं। यहां से सबसे ज्यादा मरीज ठीक होकर डिस्चार्ज हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों का एम्स पर ज्यादा भरोसा है। इधर, सूत्रों का कहना है कि प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में विशेषज्ञों की कमी है। इसके अलावा गंभीर मरीजों के इलाज की कोई बेहतर व्यवस्था नहीं है। यही वजह है कि गंभीर मरीजों को एम्स में भर्ती करने का फैसला लिया गया है।

स्वास्थ्य विभाग के उप संचालक एवं प्रवक्ता डॉ. अखिलेश त्रिपाठी का कहना है कि कोरोना संक्रमित बच्चे, 60 साल से अधिक के बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और अन्य बीमारियों से जुझ रहे मरीज एम्स में भर्ती होंगे। सामान्य लक्षणों वाले मरीजों का इलाज कोविड-19 अस्पतलों में होगा।
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