राजेश लाहोटी हाथी और इंसान के बीच संघर्ष का नतीजा16 राज्यों में हाथियों का आतंक है। हाथी व इंसान के बीच जो संघर्ष हो रहा है उसी का नतीजा है कि पिछले पांच साल में पूरे देश में हाथियों ने 2525 लोगों की जान ले ली। हालांकि राजस्थान व मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में हाथियों का आतंक नहीं के बराबर है। दूसरी ओर, बाघों के हमले में देश में इतनी मौतें नहीं हुई हैं। महाराष्ट्र, प. बंगाल व यूपी में सर्वाधिक हमले हुए हैं। राजस्थान में पांच साल में 7, जबकि मध्यप्रदेश में 14 लोग बाघों के शिकार बने हैं।लोगों की मौतेंहाथियों के हमले सेओडिशा- 453असम- 413झारखंड- 388प. बंगाल- 365छत्तीसगढ़- 328बाघों के हमले सेमहाराष्ट्र- 55यूपी- 41प. बंगाल- 34मध्यप्रदेश- 14राजस्थान- 07[typography_font:14pt;” >रायपुर. पूरे देश में अंधाधुंध काटे जा रहे जंगलों के कारण हालात बड़े विकट होते जा रहे हैं। जानवरों के व्यवहार में भी लगातार परिवर्तन आने लगा है। जंगल कटने और अपना इलाका छिनने के कारण बाघ, तेंदुए जैसे हिंसक जानवर सड़क पर आ रहे हैं। लेकिन, उनसे ज्यादा हाथी जैसा पालतू जानवर हिंसक होता जा रहा है। देश में पिछले पांच साल में बाघ, तेंदुए या शेर के हमले में 181 लोगों की मौत हुई है, वहीं हाथी के हमले में ढाई हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यह चौंकाने वाली जानकारी राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में सामने आई है। जानकार कहते हैं, जानवरों के व्यवहार में यह बदलाव इंसानों के कारण ही हुआ है, जो जंगलों में इनके विचरण के रास्तों और रहने के स्थानों पर लगातार कब्जा करते जा रहे हैं। राज्यसभा में हाथियों से इंसानी मौत के 2017 से 2021 तक के पांच साल के आंकड़े दिए गए हैं उनमें सबसे ज्यादा प्रभावित ओडिशा है। कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, उत्तराखंड की स्थिति भी गंभीर ही है।लोगों को जागरूक कर रहे हैंयह सच है कि हाथी पहले से ज्यादा हिंसक हुए हैं। लोगों को हम जागरूक कर रहे हैं। बता रहे हैं कि किस समय बाहर निकलें और अपने को सुरक्षित रखें। -पीवीएन राव, पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ