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हाथी का मंदिर, हर मनोकामना होती है पूरी

locationरायपुरPublished: Aug 16, 2022 08:58:02 am

Submitted by:

Dinesh Yadu

– बलौदाबाजार जिले के ओड़ान गांव में खेत में है हाथी पाट मंदिर

हाथी का मंदिर, हर मनोकामना होती है पूरी

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दिनेश यदु @ रायपुर. मानव और हाथियों (humans and elephants)के बीच आए दिन हो रहे संघर्ष के बीच यह खबर चौंकाने वाला है। बलौदाबाजार जिले के ओडान (Odan village of Balodabazar district) गांव में खेतों के बीच करीब 100 साल पहले बना यह मंदिर ग्रामीणों का हाथी के प्रति अगाध श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक है।
ग्रामीणों का मानना है कि हाथी पाट मंदिर (Hathi Pat Temple) में पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है। ग्रामीण अपने हर शुभ काम की शुरुआत इस मंदिर में नारियल फोड़कर करते हैं। ओड़ान निवासी कोमल चंद्राकर ने बताया कि इस मंदिर के बारे में अपने बुजुर्गो से सुनते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि जहां आज मंदिर बना है, वहां पर एक हाथी की मौत हो गई थी। जिसे गांव के लोगों ने वहीं पर दफनाने के बाद एक मंदिर का निर्माण कराया।
चंद्राकर ने बताया कि मंदिर खेत में है और आसपास जंगल और बरगद के पेड़ हैं। वहां कई तरह के सांपों का बसेरा है। इसके कारण वहां लोग बरसात में कम जाते हैं। हाथी पाटदेव की पूजा करने के लिए अधिकांश लोग ठंड व गर्मी के समय पहुंचते हैं। मनोकामना पूरी होने पर मंदिर में नारियल तोड़ा जाता है। केला व फल भी चढ़ाया जाता है।
लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए
वन विभाग से रिटायर्ड सीसीएफ केके बिसेन (Retired CCF KK Bisen) ने मानव-हाथी द्वंद्व रोकने के लिए कई अभियान चलाए। वे आज भी इसके लिए सक्रिय भूमिका में हैं। उन्होंने बताया कि हमारे प्रदेश में हाथियों का ऐसा कोई मंदिर नहीं है, अगर इस तरह का मंदिर है तो यह अच्छी खबर है। प्रेरणादायी है। बिसेन ने बताया, चार-पांच वर्ष पहले हाथी के बच्चे की महानदी के किनारे में मौत हो गई थी, वहां पर मंदिर की जगह समाधि स्थल बना है। वैसे इस इलाके में हाथियों के मूवमेंट का 100 साल से भी अधिक पुराना इतिहास है। इस क्षेत्र के रोहांसी, बारनवापारा, तुरतुरिया के साथ-साथ सिरपुर क्षेत्र में 5-6 वर्षो में हाथियों की संख्या बढ़ी है।
गजराज चौक
राजधानी के पुरानी बस्ती महामाया मंदिर (Mahamaya Temple) के पास कुछ साल पहले एक पालतू हाथी की मौत हो गई थी। महावत की मौजूदगी में उसे महामाया मंदिर के पास ही दफनाया गया था। आज उस स्थान को गजराज चौक के नाम से जाना जाता है।
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