लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए
वन विभाग से रिटायर्ड सीसीएफ केके बिसेन (Retired CCF KK Bisen) ने मानव-हाथी द्वंद्व रोकने के लिए कई अभियान चलाए। वे आज भी इसके लिए सक्रिय भूमिका में हैं। उन्होंने बताया कि हमारे प्रदेश में हाथियों का ऐसा कोई मंदिर नहीं है, अगर इस तरह का मंदिर है तो यह अच्छी खबर है। प्रेरणादायी है। बिसेन ने बताया, चार-पांच वर्ष पहले हाथी के बच्चे की महानदी के किनारे में मौत हो गई थी, वहां पर मंदिर की जगह समाधि स्थल बना है। वैसे इस इलाके में हाथियों के मूवमेंट का 100 साल से भी अधिक पुराना इतिहास है। इस क्षेत्र के रोहांसी, बारनवापारा, तुरतुरिया के साथ-साथ सिरपुर क्षेत्र में 5-6 वर्षो में हाथियों की संख्या बढ़ी है।
गजराज चौक
राजधानी के पुरानी बस्ती महामाया मंदिर (Mahamaya Temple) के पास कुछ साल पहले एक पालतू हाथी की मौत हो गई थी। महावत की मौजूदगी में उसे महामाया मंदिर के पास ही दफनाया गया था। आज उस स्थान को गजराज चौक के नाम से जाना जाता है।
वन विभाग से रिटायर्ड सीसीएफ केके बिसेन (Retired CCF KK Bisen) ने मानव-हाथी द्वंद्व रोकने के लिए कई अभियान चलाए। वे आज भी इसके लिए सक्रिय भूमिका में हैं। उन्होंने बताया कि हमारे प्रदेश में हाथियों का ऐसा कोई मंदिर नहीं है, अगर इस तरह का मंदिर है तो यह अच्छी खबर है। प्रेरणादायी है। बिसेन ने बताया, चार-पांच वर्ष पहले हाथी के बच्चे की महानदी के किनारे में मौत हो गई थी, वहां पर मंदिर की जगह समाधि स्थल बना है। वैसे इस इलाके में हाथियों के मूवमेंट का 100 साल से भी अधिक पुराना इतिहास है। इस क्षेत्र के रोहांसी, बारनवापारा, तुरतुरिया के साथ-साथ सिरपुर क्षेत्र में 5-6 वर्षो में हाथियों की संख्या बढ़ी है।
गजराज चौक
राजधानी के पुरानी बस्ती महामाया मंदिर (Mahamaya Temple) के पास कुछ साल पहले एक पालतू हाथी की मौत हो गई थी। महावत की मौजूदगी में उसे महामाया मंदिर के पास ही दफनाया गया था। आज उस स्थान को गजराज चौक के नाम से जाना जाता है।