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इंदिरा के इमरजेंसी फरमान के बाद सेंट्रल जेल में बरपा कहर, कैदियों ने एेसे बचाई थी जान

locationरायपुरPublished: Jun 25, 2018 03:22:50 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

1975 की आधी रात को आपातकाल की घोषणा की गई थी जिसे भारतीय राजनीति के इतिहास का काला अध्याय कहा जाता है। लोग आज भी उस दौर को याद कर सिहर जाते हैं।

Emergency 1975

इंदिरा के इमरजेंसी फरमान के बाद सेंट्रल जेल में भी बरपा कहर, कैदियों ने एेसे बचाई थी जान

रायपुर. रायपुर जेल में 1 जनवरी 1976 को हम सभी संघ स्थान जाने की तैयारी करने लगे। मैं हाफ पैंट पहन ही रहा था कि अचानक सीटियां बजने लगे। उत्सुकता से हम तेजी से यह जानने के लिए भागे कि क्या हुआ। हम दरवाजे तक भी नहीं पहुंच पाए कि देवशरण दुबे दरवाजे से घबराए हुए तेजी से दौड़ते आ रहे थे। उनके पीछे लगभग 50 जेल के सिपाही और अनेक सजायाफ्ता कैदी हाथों में लाठियां लिए भागे चले आ रहे थे। हम लोग कुछ समझ पाते इससे पहले वे लोग लाठी और जलाऊ लकड़ी लिए बैरकों में घुस गए और निर्ममता से हम सभी की पिटाई होनी लगी।
Emergency 1975
चारों ओर से सिर्फ हल्ला ही हल्ला था। कुछ देर बाद फिर वे सिपाही और कैदी भागते हुए बैरक एक में आए और जो सामने दिखा उसे मारने लगे। लो लोग कंबल रजाई ओढ़कर सो गए थे, वे बच गए, लेकिन अनेक लोगों को गंभीर चोटें आई। किसी का सिर फूटा तो किसी की हड्डी टूटी। जलती हुई लकडिय़ों को मीसाबंदियों पर फेंककर उन्हें जिंदा जलाने की कोशिश की गई। लगभग 40 लोगों को गंभीर चोटें आई, उन्हें जेल अस्पताल में दाखिल किया और 8 लोग जिनमें प्रभाकरराव देवस्थले, डॉ. देवीदास शुक्ला आदि को गंभीर अवस्था में डीके अस्पताल भेजा गया। विधायक चैतराम साहू, मणिकलाल और रविकुमार आदि को टांके लगाने पड़े। गिरफ्तारी का पूरा मंजर आज भी याद है। जगदीश भैया को 103 डिग्री के बुखार में घर उठाया गया। तात्कालीन कलक्टर रविंद्र शर्मा ने मेरी से मां रजनीताई से कहा कि आप देशद्रोही हो और आपके पूरे घर को सील कर देना चाहिए।
Emergency 1975

सिख जैसा बनकर करते रहे काम
आपातकाल के दौरान वीरेन्द्र पाण्डेय सिख सरदारों की तरह पगड़ी पहनकर भूमिगत रहे और इस दौरान सरकार विरोधी पर्चे बांटते रहे। 4 दिसम्बर 1975 की सुबह 10.30 जयस्तंभचौक पर वीरेन्द्र पाण्डेय, सच्चिदानंद उपासने और महेन्द्र फौजदार ने सरकार और आपातकाल विरोधी नारे लगाए। गोलबाजार, कचहरी कार्यालय, शास्त्रीचौक के पास भी उन्होंने नारेबाजी की। पुलिस ने मौके से ही उन्हें गिरफ्तार किया।

यहां तैयार होता था आपातकाल विरोधी साहित्य
आपातकाल विरोधी आंदोलन में एमजी रोड की भूमिका सबसे अहम रही। एमजी रोड स्थित रतन ट्रेडर्स के ऊपर एक छोटे से घर से जगदीश जैन और उनके साथी मिलकर आपातकाल विरोधी साहित्य तैयार करते थे। यहीं से पुलिस ने मनोहरराव सहस्त्रबुद्धे और कुछ कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। बाद में यह काम माया लॉज और बूढ़ापारा स्थित नत्थानी बिल्डिंग से भी किया गया।
(जैसा लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने ने बताया)

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