शिकायत के मुताबिक, अनंत विहार कॉलोनी मोवा निवासी शांति स्वरूप उपाध्याय ने शिव अग्रवाल से लोधीपारा स्थित 12 हजार वर्गफीट जमीन को वर्ष 1999 में खरीदा था। बाद में इसकी रजिस्ट्री करवाने से शिव अग्रवाल टालमटोल करने लगा और बार-बार टालता रहा। इसके बाद वर्ष 2012 में इसी जमीन के दस्तावेजों पर अग्रवाल परिवार ने यूनियन बैंक से लोन ले लिया और लोन नहीं चुकाया। इससे इस जमीन को बैंक ने नीलाम कर दिया। जमीन को खरीदने वाले ने आठ अन्य लोगों को जमीन बेच दिया। इसकी जानकारी होने पर शांति स्वरूप उपाध्याय ने डीआरटी जबलपुर में शिकायत की। इसके अलावा रायपुर जिला न्यायालय में मेसर्स मां भगवती एग्रो फूड प्रोसेसिंग, मेसर्स भगवती एग्रो इंडस्ट्रीज, मेसर्स मां भगवती पैडी पार्बोलिंग, सुमन अग्रवाल, रामप्यारीदेवी अग्रवाल, शिवकुमार अग्रवाल, नवन किशोर अग्रवाल, सुरेश कुमार अग्रवाल, शांतादेवी अग्रवाल, विनय कुमार अग्रवाल, अनिल अग्रवाल और जिला प्रशासन को पार्टी बनाते हुए उनके खिलाफ परिवाद दायर किया। न्यायालय में करीब २ साल तक इस मामले की सुनवाई होने के बाद ९ अप्रैल २०२० को कोर्ट ने शांतिस्वरूप के पक्ष में फैसला देते हुए विवादित जमीन पर किसी भी प्रकार के नए निर्माण कार्य करने पर रोक लगा दिया। साथ ही जमीन से संबंधित विवाद निराकरण होने तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। इसके बावजूद लॉकडाउन शुरू होते ही कुछ लोगों ने विवादित जमीन पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया।
इसकी जानकारी होने पर शांति स्वरूप और उनके रिश्तेदार मौके पर पहुंचे। और कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए निर्माण रोकने कहा। इससे निर्माण कार्य करने वाले श्रीनिवास पांडे ने इनकार कर दिया। इससे विवाद खड़ा हो गया। इसकी सूचना पुलिस को मिली। पुलिस मौके पर पहुंची। इसके बाद मामला शांत हुआ। बाद में पीडि़त शांति स्वरूप ने पंडरी थाने में इसकी शिकायत की है।
रसूखदारों का दबाव प्राइम लोकेशन में जमीन होने के कारण मामले में कुछ रसूखदारों ने प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं। लॉकडाउन के बीच विवादित जमीन पर निर्माण कार्य कराने के पीछे भी उन्हीं का हाथ बताया जा रहा है। फिलहाल पीडि़त ने इसकी शिकायत थाने में की है। हालांकि अभी तक मामले में ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है।