scriptभाजपा में गुटबाजी, रायपुर-दुर्ग में फंसा जिलाध्यक्षों का पेंच | Factionalism in BJP, screw of district heads trapped in Raipur-Durg | Patrika News

भाजपा में गुटबाजी, रायपुर-दुर्ग में फंसा जिलाध्यक्षों का पेंच

locationरायपुरPublished: Aug 12, 2020 06:39:02 pm

वरिष्ठ नेताओं में एक राय बनाने के लिए कवायद

भाजपा में गुटबाजी, रायपुर-दुर्ग में फंसा जिलाध्यक्षों का पेंच

भाजपा में गुटबाजी, रायपुर-दुर्ग में फंसा जिलाध्यक्षों का पेंच

रायपुर. सत्ता से बाहर होने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी में अंतर्विरोध और वरिष्ठ नेताओं के बीच सामंजस्य की कमी दिखाई देने लगी है। स्थिति यह है कि नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में विष्णुदेव साय की ताजपोशी होने के दो महीने के बाद भी प्रदेशभर में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। अभी रायपुर शहर, रायपुर ग्रामीण, दुर्ग और भिलाई में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। इससे न केवल विपक्ष कमजोर पड़ता दिखाई दे रहा है, बल्कि कार्यकर्ताओं में भी निराशा नजर आ रही है।
विष्णुदेव साय ने जब प्रदेश अध्यक्ष का कांटों भरा ताज संभाला तो संगठन की गुटबाजी भी सामने आई। अभी तालमेल बैठाने के लिए साय ने वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की और जिलाध्यक्षों की नियुक्ति का फैसला लिया। इसके आधार पर उन्होंने जिलों के वरिष्ठ नेताओं से बातचीत कर सबसे पहले 19 जुलाई को गौरेला-पेण्ड्रा और मरवाही जिले की कार्यकारिणी की घोषणा की। इसके बाद 25 जुलाई को जशपुर, 29 जुलाई को बस्तर, 2 अगस्त को कांकेर और 9 अगस्त को कोरबा जिले के जिलाध्यक्षों की घोषणा की, लेकिन बड़े शहरों के मामले में नामों पर मंथन जारी है। इसे लेकर कांग्रेस भी लगातार भाजपा पर गुटबाजी हावी होने का तंज कसते रही है। इसे लेकर प्रदेश प्रवक्ता श्रीचंद सुंदरानी कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी में न कोई गुट है और न ही कोई गुटबाजी। कोरोना संक्रमण की वजह से संगठन विस्तार में देरी हो रही है। उनका कहना है कि कांग्रेस को पहले अपना घर संभालना चाहिए। अभी तक निगम-मंडलों की पूरी नियुक्ति नहीं हो सकी है। उन्होंने बताया कि रायपुर जिले के जिलाध्यक्ष के नामों की घोषणा दो-तीन दिन में हो जाएगी।
नगर निगम चुनाव में पड़ेगा असर

दिसम्बर के अंत में बिरगांव नगर निगम, भिलाई नगर निगम और रिसाली नगर निगम का चुनाव प्रस्तावित है। पार्षद के टिकट वितरण में जिलाध्यक्षों की भूमिका अहम होती है। यही वजह है कि यहां भी संगठन के नेताओं के बीच तालमेल की कमी दिखाई दे रही है। इसका सीधा असर नगर निगम चुनाव पर पड़ सकता है। इससे पहले हुए नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा 10 नगर निगमों में चुनाव हार चुकी है। एेसे में प्रदेश में पार्टी नेतृत्व को सभी गुटों को साथ लेकर चलने का जल्द ही कोई फार्मूला बनाना पड़ेगा। नहीं तो संगठन में व्याप्त गुटबाजी के चलते राज्य मेंं होने वाले चुनावों में पार्टी को हमेशा मुंह की खानी पड़ेगी।
रायपुर में इस वजह से देरी

पार्टी सूत्रों का कहना है कि जिलाध्यक्ष को लेकर रायपुर सांसद सुनील सोनी और पूर्व मंत्री राजेश मूणत के बीच एक नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है। दोनों ही नेता अपने दो-दो नाम लेकर बैठे हैं, जिन्हें वे जिलाध्यक्ष के रूप में देखना चाहते हैं। इसका मतलब साफ है कि वर्चस्व की लड़ाई अब खुलकर सामने आ रही है। बताया जाता है कि इसका हल निकालने के लिए एक नए नाम पर विचार चल रहा है। वर्तमान में वे प्रवक्ता की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इसके अलावा वो पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की गुडबुक में भी शामिल हैं।
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