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संविधान दिवस: मूल प्रति की कॉपी बना रही संविधान के प्रति आस्था, कई विश्वविद्यालय में मौजूद है पहली प्रति की हुबहु नकल

locationरायपुरPublished: Nov 27, 2022 05:54:25 pm

Submitted by:

Rajiv Ranjan Rain

– लाइब्रेरी में आने वाले विद्यार्थियों के लिए उत्सुकता का केंद्र बनी- संविधान बनाने में सहयोग करने वाले सभी लोगों के हैं हस्ताक्षर

संविधान दिवस: मूल प्रति की कॉपी बना रही संविधान के प्रति आस्था, कई विश्वविद्यालय में मौजूद है पहली प्रति की हुबहु नकल

संविधान दिवस: मूल प्रति की कॉपी बना रही संविधान के प्रति आस्था, कई विश्वविद्यालय में मौजूद है पहली प्रति की हुबहु नकल

रायपुर. संविधान के निर्माण में छत्तीसगढ़ की अहम भूमिका होने के बाद अब उसकी मूल प्रति की कापी युवाओं में संविधान के प्रति आस्था बढ़ा रही है। प्रदेश के पंडि़त रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय सहित अन्य कई पुराने सरकारी विश्वविद्यालयों में इसकी हुबहु प्रति मौजूद थे। यह कापी विद्यार्थियों के साथ-साथ आंगतुकों को भी आकर्षित कर रही है।

पंडि़त रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के ग्रंथपाल डा. सुपर्णसेन गुप्ता बताते हैं कि यह संविधान की मूल कापी की ही प्रतिकृति है, जिसे भारत सरकार ने इस ग्रंथालय में भेजा है। इसकी प्रति 24 अप्रैल 2000 को मिली थी। इसके बाद इसे देखने के लिए लाइब्रेरी में लोगों का आना-जाना लगा रहता है। खास बात यह है कि संविधान को तैयार करने में जिन लोगों ने अपनी भूमिका निभाई थी, उन सभी के हस्ताक्षर इस प्रति में है। इसमें राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ छत्तीसगढ़ के छह विभूतियों के हस्ताक्षर भी शामिल हैं, जिससे विश्वविद्यालय प्रशासन सहेजकर रख रहा है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के नेहरु पुस्तकालय में संविधान की तीन प्रतिलिपी रखी हुई है। पुस्तकालय के प्रभारी डॉ. माधव पांडेय ने बताया, कि राज्य गठन के बाद भारत सरकार ने इन प्रतिलिपियों को दिया था। छात्रों के अलावा शिक्षाविद भी समय-समय पर आकर इससे अध्ययन करते रहे हैं।

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लिथो प्रिंट से बनी बार्डर
पुस्तक का कवर वूड प्रिंट से तैयार किया गया है, जो काफी पुरानी कला को दर्शाता है। यह पूरी तरह हस्तलिखित पुस्तक है। पुस्तक के हर पन्नों पर लिथो प्रिंट से बार्डर वगैरह बनाया गया है, जो देखने में काफी सुंदर दिखता है। इसके अलावा पुस्तक में धार्मिक चित्रों को भी जगह दी गई है।

आप भी जाकर देख सकते हैं प्रति
लाइब्रेरी के विद्यार्थियों के लिए यह कापी उत्सुकता का विषय है। यदि आपको इसकी प्रति देखनी है, तो आप रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के पंडि़त सुंदरलाल शर्मा केंद्रीय ग्रंथालय आ सकते हैं। इस ग्रंथालय में कोई भी व्यक्ति संविधान की मूल कापी की प्रतिकृति देख सकता है, पढ़ सकता है। खास बात यह है कि इस प्रति में एक भी संशोधन नहीं है। संविधान दिवस के एक दिन पहले इसकी प्रति को सार्वजनिक रूप से रखा गया है। बाकी समय इसे चार विभिन्न धार्मिक ग्रंथों के बीच में रखा जाता है।

 

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छत्तीसगढ़ के इन विभूतियों की रही अहम भूमिका
संविधान दिवस 26 नवंबर को मनाते हैं। भारत गणराज्य का संविधान 26 नवंबर, 1949 को बनकर तैयार हुआ था। इसके निर्माण में छत्तीसगढ़ के माटी के पुत्रों ने भी खास भूमिका निभाई। छत्तीसगढ़ के जिन विद्वानों के संविधान की मूल प्रति पर हस्ताक्षर हैं, उनमें पंडि़त रविशंकर शुक्ल, बालोद से बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल, दुर्ग के घनश्याम सिंह गुप्ता, सरगुजा के दीवान रारूताब रघुराज सिंह, पंडित किशोर मोहन त्रिपाठी और कांकेर के रामप्रसाद पोटाई शामिल हैं। अहम बात यह है कि इस संविधान को हिंदी में लिखने में दुर्ग के घनश्याम गुप्ता की भूमिका सबसे अहम रही थी। वे अनुवाद समिति के अध्यक्ष थे।

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हस्ताक्षर का रोचक किस्सा
बताया जाता है कि संविधान बनाने के बाद सभी इतनी उत्साहित थे कि अपने-अपने हस्ताक्षर कर दिए। इसमें सबसे पहला हस्ताक्षर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु का था। इसके बाद समिति के अन्य सदस्यों में हस्ताक्षर किए थे। बाद में राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने हस्ताक्षर किए थे। यही वजह है कि संविधान की मूल प्रीति की कापी में उनका हस्ताक्षर थोड़ा तिरछा है। उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी दोनों में हस्ताक्षर किए थे।

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