गौरतलब है कि राज्य में नई सरकार ने मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा दिया है। इसके बाद प्रदेश के कई हिस्सों में छोटे और मझोले किसान धान और गेंहू जैसी परम्परागत खेती के अलावा मछली पालन जैसे उपाय अपना रहे हैं। राज्य के साथ बाहरी राज्यों में अच्छा बाजार मिलने के कारण इन किसानों को बेहतर आमदनी भी हो रही है।
यह भी पढ़ें : अब नहीं करनी पड़ेगी बेटी की शादी की चिंता, हर महीने 151 रुपये जमा करने पर मिलेंगे 31 लाख रुपये इन्हीं में से एक गरियाबंद के ग्रामीण अंचल के किसान बालचंद बताते हैं कि उनकी 18 एकड़ की पुस्तैनी जमीन है। लम्बे समय तक वे अपनी जमीन में धान की फसल लेते रहे, लेकिन उन्हें लागत की अपेक्षा लाभ कम ही हो पा रहा था। ऐसे में राज्य सरकार की योजना और प्रोत्साहन से उन्होंने मत्स्य पालन का सोचा। किसान बालचंद ने पहले अपनी एक हेक्टेयर जमीन में तालाब का निर्माण कराया और मत्स्य विभाग के अधिकारियों के मार्गदर्शन में मछली पालन करना शुरू किया।
मत्स्य पालन विभाग द्वारा उन्हें वर्ष 2019-20 में राष्ट्रीय कृषक विकास योजना अंतर्गत 40 प्रतिशत की दर से अनुदान राशि 2.80 लाख रूपये स्वीकृत किया गया। उक्त राशि से उन्होंने स्वयं के तालाब में मत्स्य पालन का विस्तार किया गया। अक्टूबर 2020 में उन्होंने 50 टन मत्स्य उत्पादन कर बाजारों में बिक्री कर अच्छी आमदनी अर्जित की। आमदनी के अच्छी जरिया मिलने से बालचंद ने अपने कृषि भूमि में एक हेक्टेयर का एक और तालाब बनवाया।
यह भी पढ़ें : इस स्कीम में 151 रुपए जमा करने पर मिलेगा 31 लाख, 30 साल होनी चाहिए आपकी उम्र और… दूसरों को भी मिला रोजगार
बालचंद ने बताया कि मछली पालन कार्य करने से मेरे साथ-साथ इस कार्य में जुड़े अन्य लोगों की भी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। उन्होंने बताया कि मत्स्य पालन कार्य में 5 मजदूर नियमित कार्यरत है। साथ ही पास-पड़ोस के 50 व्यक्ति रोज उनके फार्म से 25 से 50 किलोग्राम मछली खरीदकर गांवों में विक्रय कर आमदनी अर्जित कर रहे है। श्री बालचंद मत्स्य पालन व्यवसाय से उत्साहित होकर अब हेचरी निर्माण की ओर अग्रसर है।
उद्यानिकी में भी किया नवाचार
किसान बालचंद साहू ने अपनी आमदनी का स्त्रोत बढ़ाने के लिए उद्यानिकी में भी नवाचार किया। इसके लिए उन्होंने तालाब में मछली पालन के अलावा तालाब के मेढ़ पर उद्यानिकी एवं दलहनी फसलों के साथ कटहल, पपीता, नींबू के पौधे रोपित किए और अपनी आमदनी का जरिया बढ़ाया।