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मंडी में किसानों को नहीं मिल रही धान की वाजिब कीमत

locationरायपुरPublished: Apr 30, 2020 10:56:09 pm

Submitted by:

ramdayal sao

औने-पौने दाम में खरीद रहे हैं व्यापारी, बढ़ रहा रोष

मंडी में किसानों को नहीं मिल रही धान की वाजिब कीमत

मंडी में किसानों को नहीं मिल रही धान की वाजिब कीमत

raipur/ धमतरी. रबी फसल की कटाई के बाद कृषि उपज मंडी में धान की आवक तो बढ़ गई है, लेकिन किसानों को उचित दाम नहीं मिल रहा है। इससे उनमें रोष पनपने लगा है। उनका कहना है कि मंडी में कम से कम 21 सौ रूपए का भाव मिलना चाहिए।
अंचल में रबी फसल की कटाई में तेजी आते ही मंडी में धान की आवक भी बढऩे लगी है। बुधवार को यहां 9 हजार 210 कट्टा धान बिकने के लिए आया, जिसे न्यूनतम 1351 रुपए से लेकर अधिकतम 1955 रुपए का भाव मिला। उल्लेखनीय है कि मंडी में अब भी किसानों को उनकी उपज का सही दाम नहीं मिल रहा है। ग्राम रांवा के किसान जीवन साहू ने बताया कि उन्होंने गोल्डन-828 किस्म का 76 कट्टा धान मंडी में बेचने लाया था, जिसे मिलर्स ने 1631 रुपए क्विंटल में खरीदा है। इस हिसाब से उन्हें अपनी उपज का सही दाम नहीं मिल रहा है। आमदी के किसान रमेशर साहू, मनोहर लाल ने बताया कि उन्होंने 50-50 कट़्टा धान बेचने के लिए लाया है, लेकिन उसे वाबिज भाव नहीं मिला। 1620 रुपए क्विंटल में धान बिका। उन्होंने जिला प्रशासन को हस्तक्षेत कर उपज का सही दाम दिलाने की मांग की है।
भाव एक नजर में
बुधवार को मंडी में आईआर-64 को न्यूनतम 1550 रुपए से लेकर अधिकतम 1606 रुपए का भाव मिला। इसी तरह शांभा नया 1650-1708 रुपए, सांभा पुराना 1721-1840 रुपए, ओम-थ्री 1720-1790 रुपए, ओम थ्री पुराना 1875-1881 रुपए, गोल्डन 1625-1640, किस्म-1010 नया 1351-1660 रुपए, पुराना 1570-1587 रुपए, श्रीराम पुराना 1875-1955 तथा सरना नया धान 1335-1361 रुपए तथा सरना पुराना धान को 1400 रुपए से लेकर 1560 रुपए क्विंटल बिका।

किसानों का कहना..

– मंडी में किसानों के धान को औने-पौने दाम में खरीदा जा रहा है। सोसाइटियों की तरह भले ही उनकी उपज को 25 सौ रुपए न दे, लेकिन लागत को देखते हुए 21-22 सौ रुपए क्विंटल मिलना चाहिए। प्रशासन को इसके लिए पहल करनी चाहिए।
बिसाहूराम साहु, किसान भानपुरी
– आज किसानी का लागत काफी बढ़ गई है। प्रति एकड़ किसानी में 15 से 20 हजार रुपए खर्च आता हैं, लेकिन उपज बमुश्किल 25 हजार रुपए में बिकती है। उचित दाम नहीं मिलने से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। प्रशासन को संज्ञान लेना चाहिए।
– सुरेश साहू, किसान, दानीटोला
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