केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए कॉरपोरेट परस्त किसान, कृषि और आम उपभोक्ताा विरोधी कानून को रद्द करने व न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून लागू करने की मांग को लेकर दिल्ली के विभिन्न सीमाओं में जारी किसान आंदोलन के समर्थन में छत्तीसगढ़ से गए किसान सिंघु बार्डर में जारी तमाम विरोध प्रदर्शनों में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
अनशनकारियों ने कहा कि 20 तारीख को बैठक के दौरान केंद्र सरकार द्वारा किसान प्रतिनिधियों के समक्ष यह प्रस्ताव रखना कि इस कानून को हम डेढ़ साल के लिए स्थगित रखेंगे और दोनों पक्षों को लेकर कमेटी बनाकर इस पर चर्चा करेंगे। यह बात सरकार की ओर से कोई नई बात है। क्योंकि कोर्ट ने पहले ही इस कानून के पालन पर रोक लगा दिया है और स्वयं कोर्ट ने चार लोगों की कमेटी बनाई थी जो किसानों से चर्चा कर इस मामले को सुलझाने में मदद करता। लेकिन कमेटी के एक सदस्य भूपेंद्र सिंह मान ने स्वयं को कमेटी से अलग कर लिया, जिससे कमेटी का कोई महत्त्व नहीं रह जाता है। अब पुन: सरकार प्रयास कर रही है कि कानून को स्थगित रखकर और कमेटी बनाकर किसानों के आंदोलन को कमजोर किया जाए। यह केन्द्र सरकार की साजिश है, जबकि सरकार को किसानों के आंदोलन को समझते हुए यह कानून तत्काल रद्द किया जाना चाहिए।