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खुद को जिंदा साबित करने 2 महीने से सोसायटी के चक्कर काट रहा यह किसान, जानिए क्या है पूरा मामला

locationरायपुरPublished: Jan 27, 2021 11:43:40 am

Submitted by:

Ashish Gupta

– आखिर क्यों बढ़ गई आरंग विधानसभा क्षेत्र के अन्नदाताओं की परेशानी- आनन फानन में दूसरे के नाम पर खरीदा दस्तावेज में मृत किसान का धान

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रायपुर. राजधानी से 32 किमी दूर स्थित आरंग विधानसभा क्षेत्र के अन्नदाताओं की परेशानी बढ़ गई है। क्योंकि समितियों के जिम्मेदारों ने उन्हें कह दिया है कि शासन से उनके धान का रकबा कम आया है और उसी हिसाब से धान खरीदी की जाएगी। प्रशासनिक लापरवाही यह कहानी काफी हद तक एक पुराने टीवी धारावाहिक के किरदार मुसद्दीलाल की तरह है।
आरंग के एक किसान विजय निषाद को सरकारी रेकॉड में मृत घोषित कर दिया गया है। धान खरीदी की सूची से भी उनका नाम काट दिया गया है। उन्होंने तहसीलदार को आवेदन दिया तो उन्हें सोमवार को धान लेकर आने को कहा गया है। निर्धारित समय में विजय निषाद 90 क्विंटल धान लेकर आरंग सोसाइटी पहुंच गया। समिति प्रभारी ने कहा कि आपका नाम तो लिस्ट में नहीं है, फिर भी हमने एक जुगाड़ लगाया है। आप अपना धान योगेश गुप्ता के टोकन पर तौल करा दो। बाकी पैसा नकदी ले लेना।

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इसके साथ अधिकारी ने यह भी आश्वासन दिया है कि आने वाले साल में नाम को पुन: जोड़ दिया जाएगा। इसके बाद विजय अपने धान का तौल कराकर अधिकारी के पास गया तो, उन्होने कहा कि योगेश के खाते में जैसे ही पैसा आएगा तो आपको पैसा मिल जाएगा। विजय ने पत्रिका को बताया, अपने आपको जिंदा साबित करने के लिए मैं 2 महीने से सोसायटी के चक्कर काट रहा हूं, अब पैसों के लिए चककर काटना पड़ेगा। इस मामले में पूर्व विधायक नवीन मारकण्डे ने कहा, किसानों की समस्या का निराकरण जल्द नहीं होगा तो हम किसानों को न्याय दिलाने के लिए उग्र प्रदर्शन करेंगे।

आरंग विधानसभा क्षेत्र में कई मुसद्दीलाल
आरंग क्षेत्र के कई किसानों का धान अभी तक खरीदा नहीं गया है। वहीं, किसी का आधा खरीदा गया है, तो किसी का तयशुदा रकबे से कम। आरंग के मनोज लोधी ने बताया, मैंने पिछले वर्ष 36 क्विंटल धान सोसायटी में बेचा था, लेकिन इस बार 23 क्विंटल ही धान खरीदा गया। श्याम ने बताया, धान भी कम खरीदे हैं और सोसायटी से जो कर्जा लिया था, उसे भी पूरा काट लिया। मेरे पास अब पैसा भी नहीं है, मेरी लड़की कुछ दिन पहले आग में जली है। उसके इलाज के लिए मेरे पास पैसे नहीं हैं। अगर पूरा धान बिकता तो हमारा घर चलता। भागीरथी ने बताया, एक एकड़ 20 डिस्मिल खेत है, जिसमें से सोसायटी में केवल 3 क्विंटल धान ही बेचने को कहा है। मैंने पिछली बार 20 क्विंटल बेचा था। कमोबेश ऐसी ही कहानी आरंग के अन्य किसानों की भी है।

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आरंग सोसाइटी के समिति प्रबंधक संतोष साहू ने कहा, हमने दस्तावेज में मृत किसान विजय निषाद का धान खरीद लिया है। बाकी आगे इस प्रकार की त्रुटि नहीं होगी।

सुलगते सवाल
– सरकारी दस्तावेज में मृत किसान को 2 महीने बाद भी राहत क्यों नहीं मिली?
– क्या दूसरे के टोकन पर किसी का धान खरीदा जा सकता है?
– बोनस की राशि विजय को मिलेगी या जिसके नाम पर टोकन है उसे?
– क्या किसी अधिकारी को दूसरे के टोकन पर धान खरीदी करने की इजाजत है?

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