कबूतर पालना अच्छा लगता है, खरीदने के पैसे नहीं थे तो दो बच्चों ने चुरा लिए आधा दर्जन घरों से 19 कबूतर
संकरी गांव में जिस परिवार में मौत हुआ है, उसका आर्थिक रुप से पूरी तरह कमजोर है। मृतक दिनेश धीवर (35) व लिकेश धीवर (32) के पिता पुनीत धीवर (55) ने बताया मेरे तीन पुत्रों में से दो पुत्रों को बुखार और सर्दी 15 दिनों से था, जिसके इलाज गांव के ही डॉक्टर से करा रहे थे। 17 अप्रैल को छोटे बेटे लिकेश का निधन हो गया, उसके थोड़ी देर बाद दिनेश को सांस लेने में दिक्कत होने लगी तो निजी वाहन से आरंग स्वास्थ्य केन्द्र भेजा, जहां से उसे ऑक्सीजन लगाकर आंबेडकर अस्पताल ले गया। वहां पर उसकी मौत हो गई। हमने जब स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर कोरोना जांच कराया तो निगेटिव आया लेकिन सर्दी बुखार लगातार होने के कारण हम घर में रहकर दवाई ले रहे थे।पुनीत धीवर ने बताया हमारा आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब है, बड़े बेटा मजदूरी व मंझला बेटा छोटा सा मोबाइल बनाने की दुकान खोला था। महज दो एकड़ खेती से आठ लोगों का परिवार कैसा गुजरा करें जिससे हमारा जीवन यापन चल सके था। मेरें दोनों पुत्र के निधन के बाद एक छोटा पुत्र जो फल व सब्जी का छोटा सा व्यपार शुरु किया है, लेकिन उससे भी जीवन कैसे चलेगा।
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इलाज के 40 हजार का कर्जदिनेश के दो बच्चे एक 10 साल और दूसरा 8 साल का है। वही लिकेश दिव्यांग था,जिसकी शादी अभी दो माह पूर्व हुआ था। कोरोना संक्रमण के बाद पुनीत धीवर ने अपने बच्चों के इलाज के लिए गांव में करीब 40 हजार का कर्ज लिया है, जिसे अब वापस करना सबसे बड़ा समस्या बन गया है, साथ ही दोनों बच्चों के स्कूल की चिंता सता रहा है।
संकरी गांव में आयुष्मान भारत के तहत हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर तो है, पर वहा डॉक्टर नहीं है। ग्रामीणों को इलाज के लिए आरंग या कुरुद जाना पड़ता है। संकरी से आरंग की दूरी करीब 25 किमी है, वही कुरुद की दूरी 15 किमी है। सरपंच नारायण साहू ने बताया अगर गांव में किसी की तबियत खराब हो जाए तो वहा पर छ: से सात झोलाछाप डाक्टर इलाज करते हैं। लेकिन अगर देर रात अचानक किसी व्यक्ति की तबियत खराब हो जाए तो मरीज को समय पर इलाज नही मिल पाएगा।
जनपद अध्यक्ष खिलेश देवांन ने बताया हमने आरएचओ के लिए मंत्री व स्थानीय विधायक शिवकुमार डहरिया को अवगत कराया है, इसके साथ संकरी गांव में कोरोना संक्रमित करीब 12 से 15 मरीज थे। गांव में दो की मौत के बाद सरपंच ने कोटवार से मुनादी कराकर पांच दिन का लॉकडाउन किया था। लॉकडाउन के दौरान मितानिनों ने घर-घर जाकर दवाई के बांटे थे।
– संकरी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में डॉक्टर की पोस्टिंग नही है। एक नर्स और एक आरएचओ फीमेल (रूरल हेल्थ ऑर्गनाइजर) को पदस्थ किया गया है। कोरोना की वजह से स्टॉफ की अन्य जगहों पर ड्यूटी लगाए जाने के कारण कमी है।