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रायपुर

लोक निर्माण विभाग में एफडीआर की गफलतबाजी का मामला, चार और टेंडर होंगे रद्द

फर्जी एफडीआर मामले में फरार जिस ठेकेदार को सिविल लाइन पुलिस महीनेभर तक ढूंढ़ती रही और इधर ठेकेदार का आयुर्वेदिक कॉलेज कैम्पस के भवनों में विशेष मरम्मत का कार्य भी पूरी तेजी से चलता रहा।

रायपुरApr 21, 2019 / 09:31 am

Akanksha Agrawal

PWD Office

लोक निर्माण विभाग में एफडीआर की गफलतबाजी का मामला, चार और टेंडर होंगे रद्द

रायपुर. फर्जी एफडीआर मामले में फरार जिस ठेकेदार को सिविल लाइन पुलिस महीनेभर तक ढूंढ़ती रही और इधर ठेकेदार का आयुर्वेदिक कॉलेज कैम्पस के भवनों में विशेष मरम्मत का कार्य भी पूरी तेजी से चलता रहा। आरोपी ठेकेदार राहुल अग्रवाल को दो दिन पहले ही पुलिस गिरफ्तार कर पाई।
इससे पहले वह पीडब्ल्यूडी में ठेका कार्य पूर्ण करने के साथ ही भुगतान के लिए बिल लगवा दिया था। लेकिन विभाग के अधिकारी ने उस बिल का अभी भुगतान नहीं किया है। इसके अलावा चार और फर्जी एफडीआर मामले का टेंडर रद्द करने की फाइल विभाग के बड़े अधिकारी के पास भेज दी गई है। जिस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।
पीडब्ल्यूडी के विधानसभा संभाग में फर्जी एफडीआर का भंडाफोड़ होने पर कार्यपालन अभियंता ने आश्वी इंजीनियरिंग के प्रोपराइटर राहुल अग्रवाल के खिलाफ सिविल लाइन थाने में 6 मार्च को एफआईआर दर्ज कराई थी। विभाग के इस डिवीजन से इस ठेकेदार ने आयुर्वेदिक कैम्पस भवन का विशेष मरम्मत कार्य का 40 लाख का ठेका कम निविदा दर पर 28 लाख रुपए में लिया था।
जिसके अंतर की राशि के रूप में ठेकेदार को विभाग में 8 लाख 28 सौ रुपए का एफडीआर जमा करना था, जिसका वह स्कैन कराकर जमा किया और ओरिजनल अपने पास रख लिया और बाद में कार्यपालन अभियंता की फर्जी सील और हस्ताक्षर कर काम पूरा होने से पहले ही उस एफडीआर को एसबीआई शाखा टाटीबंध से भुना लिया। इसी मामले में एफआईआर होने के बाद से वह फरार था।

एफडीआर की 13 स्कैन कॉपी का हुआ है भंडाफोड़
लोक निर्माण विभाग के जिस अधिकारी को ठेकेदार के दस्तावेजों की बारीकी से जांच करना था, उसमें घोर लापरवाही बरती गई। इस तरह आश्वी इंजीनियरिंग और मेसर्स श्रीजी कंस्ट्रक्शन ने विभाग के विधानसभा डिवीजन में पांच और एक नंबर डिवीजन में 13 स्कैन कराकर एफडीआर जमा किया और ओरिजनल अपने पास रख लिया। जबकि यह टेंडर शर्तों के नियम विरुद्ध है। जिसका पिछले महीने भंडाफोड़ा हुआ था।

पीडब्ल्यूडी के कार्यपालन अभियंता एनके पांडेय ने बताया कि आयुर्वेदिक कॉलेज उपखंड के भवनों के मरम्मत कार्य का अनुबंध आश्वी इंजीनियरिंग फर्म के साथ हुआ था। इसलिए टेंडर निरस्त नहीं किया गया। बल्कि ठेकेदार से पूरा कार्य कराया गया, ताकि विभाग को नुकसान न उठाना पड़े। जिन टेंडरों में अनुबंध नहीं हुआ है, उसे निरस्त किया जाएगा।

28 लाख रुपए का मरम्मत कार्य पूरा किया
पीडब्ल्यूडी विधानसभा संभाग आयुर्वेदिक कॉलेज कैम्पस के भवनों के विशेष मरम्मत कार्य का टेंडर 40 लाख रुपए की लागत से जारी किया था। जिसका टेंडर 28 लाख रुपए में आश्वी इंजीनियरिंग फर्म के नाम से स्वीकृत हुआ। ठेकेदार राहुल अग्रवाल को यह कार्य 31 मार्च को पूरा करना था, इससे पहले ही उसके खिलाफ 6 मार्च को सिविल लाइन थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। इसके बाद से वह फरार चल रहा था। जिसकी गिरफ्तारी 18 अप्रैल को हुई। तब तक वह आयुर्वेदिक कॉलेज का निर्माण पूरा कर लिया।

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