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मिठाइयों के पैसों से दिव्यांग बेटियों के जीवन में साल भर घुलेगी मिठास

locationरायपुरPublished: Oct 30, 2020 10:42:27 pm

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CG Desk

– महाराष्ट्र मंडल की अनूठी पहल, पिछले साल 5.20 लाख रु. के पकवान बेचे, खर्चा काटकर 70 हजार बचे .- 16 बच्चियों का मंडल करता है भरण-पोषण .

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रायपुर . हर जीवन का मुख्य उद्देश्य खुशियां बांटना हो तो इस दुनिया में कोई खुद को दु:खी और असहाय महसूस नहीं करेगा। जी हां, ऐसी ही अनूठी पहल कर रहा है छत्तीसगढ़ का महाराष्ट्र मंडल। जो हर साल 15-16 दिव्यांग बेटियों को हॉस्टल में रखता है। उनके रहन-सहन, खान-पान, शिक्षा, स्वास्थ्य से जुड़ी हर जरूरतें पूरी करता है। शासन भी सालाना 3 लाख का अनुदान देती है, मगर यह राशि कम पड़़ती है। इसी मगर का हल खोजने के लिए और बेटियों के भरण-पोषण में कोई कमी न रह जाए इसलिए एक अनूठी पहल शुरू की है। मंडल, दिवाली के पहले 13 से 15 प्रकार के पकवान बनाता है। ऑर्डर लेता है और फिर जो मुनाफा होता है वह बेटियों के जीवन से जुड़ी हर समस्या और उनके विकास पर खर्च किया जाता है। मिठास घोलने की यह पहल इस साल शुरू हो चुकी हैं।
पिछले साल 5.20 लाख रुपए के पकवान बेचकर 70 हजार का मुनाफा हुआ, इस साल लक्ष्य 20 लाख रुपए तक के ऑर्डर हासिल करने का है। इसे लेकर हर स्तर पर संपर्क किए जा रहे हैं, ताकि ज्यादा बचत हो सके। बता दें कि महाराष्ट्र मंडल ने 5 साल पहले बहुत छोटे रूप में इस काम को शुरू किया था। मगर, लोगों की अच्छी प्रतिक्रिया और मांग पर हर साल इसका स्तर बढ़़ाया जा रहा है।
पकवान की किस्म
मराठी चिवड़ा, चकली, सेव, मीठे शक्कर पाले, सलोनी, अनारसे, गुझिया सादी, गुझिया खोवा वाली, काजू कतली, पूरण पोली, बासुंदी (रबड़ी) और श्रीखंड।

कोरोनाकाल में होम डिलीवरी भी
कोरोना के इस दौर में हर किसी की कोशिश है कि कम से कम घर से बाहर निकलना हो। इसलिए मंडल ने ऑनलाइन बुकिंग और डिलीवरी की भी सुविधा शुरू की है। इस साल कई क्षेत्रों में स्टाल भी लगाए जाएंगे, ताकि लोगों को चौबे कॉलोनी स्थित मंडल के कार्यालय आना न पड़े। उन्हें उनके नजदीकी स्टाल पर पकवान मिल सकें। मंडल की तरफ से दावा है कि हम गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं करते। चीजें वैसे ही तैयार होती हैं जैंसे आप अपने घर में करते हैं।
इस कार्य के पीछे सिर्फ इतना ही उद्देश्य है कि बच्चियों के भरण-पोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य में कहीं कोई कमी न रह जाए। जो भी मंडल के जरिए सामग्री खरीदता है, कहीं न कहीं व दिव्यांग बच्चियों के लिए सहयोग ही देता है। कई बार तो लोग हॉस्टल भी जाते हैं, मिलते हैं और मदद करते हैं।
– अजय काले, अध्यक्ष, महाराष्ट्र मंडल रायपुर
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