बैठक में राजस्थान के बिजली घरों को कोयले की आपूर्ति को लेकर विस्तृत विचार विमर्श किया गया। बैठक के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा, राजस्थान को जो कोल ब्लॉक आवंटित हुआ है उस पर विधिवत कार्रवाई की जा रही है। इस प्रक्रिया में समय लगता है। खदान आवंटन के बाद पर्यावरण की स्वीकृति के साथ भारत सरकार और राज्य सरकार की गाइड लाइन को पूरा करना होता है। राज्य सरकार ने पर्यावरण और स्थानीय लोगों के हितों से कभी समझौता नहीं किया। इन विषयों को लेकर राज्य सरकार हमेशा गंभीर रही है। बैठक में छत्तीसगढ़ के वन मंत्री मोहम्मद अकबर के साथ छत्तीसगढ़ और राजस्थान सरकार के आला अधिकारी मौजूद थे।
तो बंद हो जाएंगे 4500 मेगावाट क्षमता के प्लांट: बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री राजस्थान को आवंटित कोयला खदानों में खनन गतिविधि प्रारंभ करने के लिए लंबित मंजूरी जल्द देने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि राजस्थान में कोयले की कमी के कारण गंभीर बिजली संकट पैदा हो गया है। यदि छत्तीसगढ़ से मदद नहीं मिलती है तो राजस्थान में 4500 मेगावाट क्षमता के प्लांट बंद हो जाएंगे। उन्होंने कहा, राजस्थान के लोगों की तरफ से वे बड़ी उम्मीद लेकर छत्तीसगढ़ आए हैं, हमारा प्रदेश संकट में है और चिंतित भी है कि आने वाले समय में क्या होगा। इसलिए उन्हें खुद यहां आना पड़ा है।
यह है मामला: राजस्थान सरकार का कोल ब्लॉक छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में परसा, परसा पूर्व, कांता बसन और कांटे एक्सटेंशन में हैं। परसा कोल ब्लॉक से खनन की मंजूरी केंद्रीय कोयला और वन मंत्रालय ने तो दी है, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से कुछ अनुमति मिलनी बाकी है। बता दें केंद्र सरकार ने कोल ब्लॉक का आवंटन राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को दिया है। वहीं राजस्थान सरकार ने खनन का अनुबंध अडानी कंपनी के साथ किया।
फर्जी प्रस्ताव बनाने का आरोप
इस कोल ब्लॉक के विरोध में हसदेव क्षेत्र के आदिवासियों अनिश्चितकालीन आंदोलन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि ग्राम सभा के फर्जी प्रस्ताव बनाकर वन स्वीकृति ली गई है। पिछले दिनों यहां के आदिवासी पदयात्रा करते हुए रायपुर पहुंचे और राज्यपाल और मुख्यमंत्री से शिकायत की थी। इसके बाद राज्यपाल ने जांच कराने का आश्वासन दिया था।
इस कोल ब्लॉक के विरोध में हसदेव क्षेत्र के आदिवासियों अनिश्चितकालीन आंदोलन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि ग्राम सभा के फर्जी प्रस्ताव बनाकर वन स्वीकृति ली गई है। पिछले दिनों यहां के आदिवासी पदयात्रा करते हुए रायपुर पहुंचे और राज्यपाल और मुख्यमंत्री से शिकायत की थी। इसके बाद राज्यपाल ने जांच कराने का आश्वासन दिया था।