ये भी पढ़ें : नक्सलियों ने मुखबिरी के शक में युवक को उतारा मौत के घाट, दहशत फैलाने चिपकाए बैनर, पोस्टर सीबीआई के वरिष्ठ लोक अभियोजक बृजेश सिंह ने बताया कि रायपुर के फाफाडीह स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के तत्कालीन मुख्य महाप्रबंधक एसपी कालरा, तत्कालीन मैनेजर जितेंद्र राव ने चंदेला बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड के संचालिका शारदा सिंह, आर्किटेक्ट देवेंद्र पहाड़ी और विलास राव के साथ मिलकर कूटरचित दस्तावेज तैयार कर 114 लोगों को रायपुरा स्थित अमरोहा कॉलोनी में मकान बनाकर देने के नाम पर ठगी की।
ये भी पढ़ें : 18 नक्सलियों को ढेर कर यहां जवानों ने तोड़ी माओवादियों की कमर, अब अर्बन एरिया में नजर उन्होंने बताया कि बैंक मैनेजर और मुख्य महाप्रबंधक ने बिना जांच किए दस्तावेज के आधार पर 14 करोड़ 17 लाख रुपए का फर्जी तरीके से रेल निकाला और इसे बिल्डर के खाते में डाल दिया लेकिन बाद में जैसे ही बैंक ने किस अदा करने का नोटिस भेजा, इसके बाद पूरे धोखाधड़ी के मामले का खुलासा हुआ।
ये भी पढ़ें : अफसरों ने कहा – पांच लाख रुपए की व्यवस्था कर दो, इस पद पर करवा दूंगा तुम्हारा सेलेक्शन शिकायत पर सीबीआई ने 28 अप्रैल 2004 को धोखाधड़ी का जुर्म दर्ज कर मामले की विवेचना की और 28 जून 2007 को करीब 10000 पन्नों का आरोप पत्र सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया। इस मामले में कोर्ट ने 136 लोगों की गवाही ली। उनके कथन और दस्तावेजों में धोखाधड़ी प्रमाणित होने के बाद सभी आरोपियों को 7-7 का सश्रम कारावास और एक-एक लाख रुपए का जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई है। जुर्माना की राशि अदा नहीं करने पर सभी को एक-एक माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास काटनी पड़ेगी।