scriptपांच आदिवासी किसानों ने बदली बंजर जमीन और खुद की किस्मत | Five tribal farmers changed barren land and own fortunes | Patrika News

पांच आदिवासी किसानों ने बदली बंजर जमीन और खुद की किस्मत

locationरायपुरPublished: Oct 28, 2020 08:37:31 pm

Submitted by:

lalit sahu

आम का ऐसा उत्पादन की थोक व्यापारी खेत से ही खरीद लेते हैं फलमनरेगा से विकसित आम के सामुदायिक बाग में सब्जी की अंतरवर्ती खेती से दोहरा लाभ

पांच आदिवासी किसानों ने बदली बंजर जमीन और खुद की किस्मत

पांच आदिवासी किसानों ने बदली बंजर जमीन और खुद की किस्मत

रायपुर. सहकारिता की भावना के साथ एक सूत्र में बंधकर आगे बढऩे की मिसाल है जशपुर जिले का सुरेशपुर गांव। वहां के पांच आदिवासी किसानों ने अपनी एक-दूसरे से लगती जमीन को मिलाकर करीब पांच हेक्टेयर के चक्र में कुछ साल पहले मनरेगा से आम का बगीचा तैयार किया था। इस बगीचे से पिछले तीन सालों में आठ लाख 70 हजार रूपए की आमदनी इन किसानों को हो चुकी है। आम बेचने के साथ सब्जियों की अंतरवर्ती खेती कर वे दोहरा मुनाफा कमा रहे हैं। ये किसान अब गांव में फल उत्पादक किसान के रूप में भी पहचाने जाने लगे हैं।
जशपुर जिला मुख्यालय से 96 किलोमीटर दूर सुरेशपुर एक आदिवासी बाहुल्य गांव है। पत्थलगांव विकासखण्ड के इस गांव के 45 वर्ष के आदिवासी किसान मदनलाल को अपनी लगभग ढाई हेक्टेयर की पड़ती (बंजर) जमीन पर कुछ भी नहीं उगा पाने का काफी दुख था। रोजगार सहायक और ग्राम पंचायत की सलाह पर उन्होंने उद्यानिकी विभाग की सहायता से सामुदायिक फलोद्यान लगाने एवं उनके बीच अंतरवर्ती खेती के रूप में सब्जियों के उत्पादन का निश्चय किया। मदनलाल ने पंचायत की सलाह पर तुरंत अपनी कृषि भूमि से लगते अन्य किसानों बुधकुंवर, मोहन, मनबहाल और हेमलता से चर्चा कर सामुदायिक फलोद्यान से होने वाले फायदों के बारे में बताया।
चूंकि इन सभी किसानों की आधे से लेकर एक हेक्टेयर तक की कृषि भूमि मदनलाल की कृषि भूमि से लगती थी और भूमि पड़ती होने के कारण सभी के लिए लगभर अनुपयोगी थी। इसलिए सभी ने इसके लिए अपनी सहमति दे दी। आखिरकार मदनलाल की मेहनत रंग लाई और ग्राम सभा के प्रस्ताव के आधार पर नौ लाख 48 हजार रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति के साथ सामुदायिक फलोद्यान रोपण का मार्ग प्रशस्त हो गया। मनरेगा के अभिसरण से उद्यानिकी विभाग ने वर्ष 2013-14 में मदनलाल सहित पांचों किसानों की जमीन को मिलाकर 4.6 हेक्टेयर के एक चक्र पर आम के सामुदायिक फलोद्यान का रोपण कराया। करीब आठ लाख रुपए की लागत से आम की दशहरी प्रजाति के 1300 पौधे रोपे गए। इस काम को पांचों हितग्राही परिवारों के साथ गांव के 67 श्रमिकों ने मिलकर पूरा किया। मनरेगा के अंतर्गत सभी मजदूरों को कुल 3617 मानव दिवस रोजगार के एवज में पौने छह लाख रुपए से अधिक का मजदूरी भुगतान किया गया।
किसानों ने आम बेचकर कमाए 5.70 लाख, सब्जियों से 3 लाख की कमाई

उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आम के इस फलोद्यान से पांचों किसानों ने पिछले तीन सालों में आठ लाख 70 हजार रूपए कमाए हैं। आम की बिक्री से पांच लाख 70 हजार रूपए की आमदनी हुई है। वहीं अंतरवर्ती फसल के रूप में बरबट्टी, भिण्डी, करेला, मिर्च, टमाटर, प्याज और आलू की खेती से तीन लाख रूपए की अतिरिक्त कमाई हुई है। सामुदायिक फलोद्यान के फायदे साझा करते हुए इसे लगाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले श्री मदनलाल बताते हैं कि आम के इस बगीचे में उद्यानिकी विभाग ने हमारी बहुत मदद की है। विभाग ने राष्ट्रीय बागवानी मिशन से ड्रिप इरिगेशन सिस्टम, सब्जी क्षेत्र विस्तार, पैक हाउस, मल्चिंग शीट और वर्मी कम्पोस्ट यूनिट के रूप में विभागीय अनुदान सहायता उपलब्ध कराई है। हम पांचों किसानों की एकजुटता तथा मनरेगा और उद्यानिकी विभाग के तालमेल से विकसित इस फलोद्यान से तीन वर्षों में ही हमारी आर्थिक स्थिति अच्छी हुई है। आमों की गुणवत्ता अच्छी होने के कारण पत्थलगांव के फल व्यापारी सीधे खेतों में पहुंचकर हमसे थोक में खरीदी कर रहे हैं।
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