scriptदुधावा बांध के टापू में फंसे 100 बंदरों का झुंड बांस-बल्ली के पुल के सहारे आया बाहर, 9 अब भी बचे | Flock of 100 monkeys trapped in island, 9 still remain | Patrika News

दुधावा बांध के टापू में फंसे 100 बंदरों का झुंड बांस-बल्ली के पुल के सहारे आया बाहर, 9 अब भी बचे

locationरायपुरPublished: Nov 22, 2019 02:31:26 am

Submitted by:

ramdayal sao

लकड़ी का पुल तैयार होने के तीसरे दिन एक-एक कर निकले बंदर, वन विभाग ने कहा-जलाशय से अब पानी खोलने की जरूरत नहीं

दुधावा बांध के टापू में फंसे 100 बंदरों का झुंड बांस-बल्ली के पुल के सहारे आया बाहर, 9 अब भी बचे

दुधावा बांध के टापू में फंसे 100 बंदरों का झुंड बांस-बल्ली के पुल के सहारे आया बाहर, 9 अब भी बचे

raipur/कांकेर/दुधावा. दुधावा जलाशय के टापू पर महीनों से फंसे सौ बंदरों को निकालने के लिए वन विभाग की ओर से बनाया गया बांस-बल्ली का पुल गुरुवार को कारगर साबित हुआ। टापू से बंदरों का पहला झुंड सुबह निकला तो इस झुंड को देखते ही एक घंटे में सौ से अधिक बंदर बाहर आ गए। वन विभाग के आलाधिकारियों ने बताया कि एक-दो दिन में टापू से सभी बंदर बाहर निकल आएंगे। अब लकड़ी के पुल को न तो चौड़ा करना पड़ेगा न ही बांध से पानी खोलने की जरूरत होगी। टापू पर अब सिर्फ 9 बंदरों का एक झुंड बचा है।
नरहरपुर वन परिक्षेत्र के कर्मचारियों ने बताया कि वैसे तो बंदरों को टापू पर फंसे होने की सूचना 11 नवम्बर को मिली थी। चार दिनों तक बंदरों को खाने के लिए वन विभाग की ओर से टापू पर फल और सब्जियां भेजा गया। ठोस उपाय नहीं होने पर फॉरेस्ट विभाग के आलाधिकारियों के आदेश पर 16 नवम्बर से बांस-बल्ली के सहारे लकड़ी का पुल बनाया जाने लगा। तीन दिनों में 18 नवम्बर तक टापू तक करीब पांच सौ मीटर लकड़ी का पुल बन कर तैयार हो गया। 19 नवम्बर को पहले दिन बांस-बल्ली के पुल पर 40-50 मीटर ही बंदर आए और लौट गए। दूसरे दिन दो सौ मीटर तक आए और टापू की तरफ फल खाकर चले गए। दो दिन इंतजार के बाद बंदर बाहर नहीं आए तो वन विभाग की ओर से तैयारी हो रही थी कि गुरुवार से लकड़ी का पुल और चौड़ा किया जाएगा। अभी तैयारी चल ही रही थी इसी बीच टापू से कुछ बंदर बांस के पुल पर उछलकूद करते हुए बाहर आ गए। पहले तो दो चार बंदर बाहर आए, इसके बाद तो एक-एक करीब सौ बंदर बाहर आ गए। देर शाम को वन विभाग की टीम ने टापू का निरीक्षण किया तो वहां पर सिर्फ 9 बंदरों का एक झुंड नजर आया। इन बंदरों को खाने के लिए नौका से फल और सब्जियां पहुंचाया गया। एक दो दिन के अंदर यह भी बंदर दुधावा बांध के टापू से बाहर निकल आएंगे। एक सप्ताह तक कड़ी मेहनत के बाद वन विभाग को राहत मिली है। लोगों की आवाजाही कम हुई तो लकड़ी के पुल से बंदर निकल आए।
बांध से पानी छोडऩे की आवश्यकता नहीं
लकड़ी का पुल तैयार होने के बाद भी बंदर बाहर नहीं आ रहे थे, तो वन विभाग दुधावा जलाशय से पानी छोडऩे के लिए विभाग को पत्र लिखने की तैयारी कर रहा था कि गुरुवार को बंदर बाहर निकलने लगे तो राहत की सांस ली है। वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि अब जलाशय से पानी छोडऩे की आवश्यकता नहीं होगी। न ही बांस के पुल को चौड़ा करना पड़ेगा। बड़े-बड़े बंदर बाहर आ गए हैं। अब छोटे-छोटे बंदर ही दुधावा बांध के टापू पर हैं। उन बंदरों के खाने के लिए फल और सब्जियां नौका से भेजी जा रही है। जल्द ही वह भी बंदर बाहर निकल जाएंगे। वन विभाग की टीम इन बंदरों को निकालने के लिए हर कोशिश कर रही है।
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