script‘कोटपा’ कानून की उड़ रही धज्जियां, छत्तीसगढ़ में भी हालात बद्तर | Flying coat of 'Kotpa' law, situation in Chhattisgarh too bad | Patrika News

‘कोटपा’ कानून की उड़ रही धज्जियां, छत्तीसगढ़ में भी हालात बद्तर

locationरायपुरPublished: Dec 23, 2019 12:57:34 am

Submitted by:

ashutosh kumar

 सार्वजनिक स्थलों पर आप अगर बेफिक्र होकर धूम्रपान करते हैं तो अपनी इस आदत को समय रहते बदल लें।

'कोटपा' कानून की उड़ रही धज्जियां, छत्तीसगढ़ में भी हालात बद्तर

‘कोटपा’ कानून की उड़ रही धज्जियां, छत्तीसगढ़ में भी हालात बद्तर

रायपुर. सार्वजनिक स्थलों पर आप अगर बेफिक्र होकर धूम्रपान करते हैं तो अपनी इस आदत को समय रहते बदल लें। ऐसा न हो कि आपको बीड़ी या सिगरेट फूंकने पर जुर्माना भी देना पड़ जाए। आपको आर्थिक नुकसान के साथ-साथ समाज के सामने अपमानित भी होना पड़ सकता है।
दूसरी ओर, प्रदेश में कोटपा कानून (तंबाकू नियंत्रण कानून) का असर नहीं हो रहा है। प्रदेश के विभिन्न जगहों व शिक्षण संस्थानों के समीप खुलेआम पान मसाला, गुटखा व सिगरेट बेची जा रही है। दुकानों के बाहर नशीले पदार्थ टंगे होने की वजह से युवा खासकर छोटे-छोटे स्कूली बच्चों पर इसका गलत प्रभाव पड़ रहा है। राजधानी रायपुर में कोटपा एक्ट लागू होने के बावजूद भी कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति हो रही है, जबकि विभाग में कोटपा एक्ट से संबंधित हजारों शिकायतें दर्ज हो रही हैं। वहीं जागरुकता के नाम पर भी हर माह लाखों रुपए से ज्यादा खर्च किए जा रहे हैं। प्रदेश में वर्ष 2016-17 में तंबाकू खाने वाले 53.2 फीसदी थे, वर्ष 2017-18 में यह आंकड़ा घटकर 39.1 फीसदी पर आ गया था।

नहीं लगाया कोई बोर्ड
दुकानों व स्कूलों के मेन गेट पर कोटपा कानून की जानकारियां, कानून, निषेध और सजा-जुर्माना से संबंधित बोर्ड भी किसी भी दुकान पर नहीं लगाया गया है। उल्टा कानून का उल्लंघन करते हुए धार्मिक व शैक्षणिक स्थलों के सामने पान, गुटखा, तंबाकू और सिगरेट की दुकानें खोली जा रही हैं और उत्पाद बेचे जा रहे हैं। कोटपा अधिनियम की धारा 4 के तहत होटल, रेस्टोरेंट, शैक्षणिक संस्थान व समस्त निजी एवं सरकारी कार्यालयों पर धूम्रपान करना प्रतिबंधित है। अधिनियम के तहत सभी सार्वजनिक स्थलों के प्रभारियों द्वारा धूम्रपान निषेध क्षेत्र वाले बोर्ड लगाना भी अनिवार्य है। कोई व्यक्ति यदि सार्वजनिक स्थलों पर बीड़ी, सिगरेट, गुटखा खाता हुआ या बेचते पकड़ा जाता है तो जुर्माना वसूलने का प्रावधान है।

कोटपा अधिनियम का पालन अनिवार्य
वर्ष 2003 में संसद ने युवाओं और जन मानस को तंबाकू के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा कानून) लागू किया था। यह एक राष्ट्रीय कानून है, जिसका पालन सभी राज्यों को करना अनिवार्य है।

130 करोड़ की आबादी में से 28.6 फीसदी लोग करते हैं तंबाकू का सेवन
ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की कुल 130 करोड़ आबादी में से 28.6 फीसदी लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। रिपोर्ट में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि 18.4 फीसदी युवा न सिर्फ तंबाकू, बल्कि सिगरेट, बीड़ी, खैनी, बीटल, अफीम, गांजा जैसे अन्य खतरनाक मादक पदार्थों का सेवन करते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि नींद की कमी से तनाव के हार्मोन रिलीज होते हैं। यह टेस्टोस्टेरोन कम करता है। कम नींद से हृदय रोग और मोटापे बढऩे का खतरा बना रहता है।

जागरुक होने की है जरूरत
वर्तमान में अस्पतालों में कैंसर के जो रोगी बढ़ रहे हैं, उनमें पहले की अपेक्षा कम उम्र के लोग आ रहे है। यह हमारे समाज के लिए चिंता का विषय है। तंबाकू और अन्य धूम्रपान उत्पादों में निकोटिन होता है जो कि हेरोइन से भी अधिक खतरनाक होता है। यदि एक बार इसकी लत लग जाए तो मात्र पांच प्रतिशत लोगों को ही इससे छुटकारा मिलता है, इसलिए पुलिस अधिकारियों का भी दायित्व बनता है कि वे इसे रोकने के लिए सिगरेट एंव अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम -2003 का पूरी तरह से अनुपालना करावें, जिससे कि बच्चों व युवाओं को इससे बचाया जा सके।

'कोटपा' कानून की उड़ रही धज्जियां, छत्तीसगढ़ में भी हालात बद्तर

क्या है कोटपा कानून
1-कोटपा एक्ट की धारा 4 के तहत अस्पताल भवन, न्यायालय भवन, सार्वजनिक कार्यालय, होटल, रेस्टोरेंट, शॉपिंग माल, शिक्षण संस्थान, सभागार और सार्वजनिक वाहन आदि जगहों पर धूम्रपान निषेध है।
2- सभी सरकारी व गैर सरकारी सार्वजनिक स्थलों के प्रभारियों को धूम्रपान निषेध का बोर्ड लगाना अनिवार्य होगा। ऐसा नहीं किए जाने पर उन्हें 200 रुपए का जुर्माना देना होगा।
3-धारा 6 के तहत तंबाकू उत्पाद विक्रेताओं को भी एक बोर्ड लगाना होगा, जिस पर इस बात की सूचना होनी चाहिए कि 18 वर्ष से कम व्यक्ति के हाथों तंबाकू उत्पाद की बिक्री नहीं की जाती है।

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