रायपुर

कैग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, वन विभाग ने मनमाने तरीके से की 3.23 करोड़ की खरीदी

स्थिति यह है कि तमाम तरीके की मॉनीटरिंग के बावजूद विभाग में भंडार क्रय नियम का पालन नहीं हो रहा है

रायपुरJan 19, 2019 / 12:29 pm

Deepak Sahu

कैग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, वन विभाग ने मनमाने तरीके से की 3.23 करोड़ की खरीदी

रायपुर. वन विभाग के अफसर कायदे-कानून को ताक पर रखकर मतलब साधने में लगे हैं। स्थिति यह है कि तमाम तरीके की मॉनीटरिंग के बावजूद विभाग में भंडार क्रय नियम का पालन नहीं हो रहा है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पांच वनमंडलों ने खुली निविदा की प्रक्रिया का पालन किया बिना ही 3.23 करोड़ की सामग्री खरीद ली।
कैग के मुताबिक बलौदाबाजार, धमतरी, कटघोरा, कोरबा और कोरिया वनमंडलों ने वर्ष 2014-15 और 2015-16 में तीन सामग्री प्रदाताओं से कोटेशन लिए बिना ही 3.23 करोड़ रुपए से ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस), ट्रेकिंग डिवाइस, नीम खल्ली, कीटनाशक आदि की खरीदी की।
नियम के अनुसार 50 हजार रुपए से अधिक की सामग्री खुली निविदा से खरीदनी थी, इसके बावजूद वन विभाग ने केंद्रीय भंडार, राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ और राज्य उपभोक्ता सहकारी समिति से खरीदी की। स्थिति यह है कि कैग ने सितम्बर 2017 में विभाग के सामने यह प्रकरण ध्यान में लाया था, लेकिन अगस्त 2018 तक विभाग ने इसका कोई जवाब नहीं दिया।

पौधरोपण के लिए खोदे बड़े गड्ढे, 2.03 करोड़ का अतिरिक्त खर्च
वन विभाग ने पौधरोपण के लिए गड्ढों के माप तय कर रखे हैं। कैग ने पाया कि चार वनमंडल क्षेत्रों में निर्धारित आकार की बड़े-बड़े गड्ढे खोद दए। इससे मजदूरी व्यय और वर्मी कम्पोस्ट व उर्वरक की खपत में तीन गुना वृद्धि हुई, जिसके कारण वर्ष 2014-15 में विभागीय मद के अंतर्गत असिंचित मिश्रित पौधारोपण में क्षेत्र तैयार कार्य के ऊपर 2.03 करोड़ रुपए का अधिक व्यय हुआ। कैग ने कहा कि विभिन्न मदों के अंतर्गत एक ही तरह के वानिकीकार्य के लिए मानक निर्धारण करते समय एकरूपता सुनिश्चित करनी चाहिए।

वनक्षेत्र में बिना अनुमति के बना दी सडक़
वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत वनक्षेत्र में सडक़ बनाने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति जरूरी है। मरवाही और कोरिया वनमंडल क्षेत्र में 2.33 करोड़ रुपए से डब्ल्यूबीएम रोड का निर्माण हुआ। इसके लिए केंद्र सरकार से आवश्यक अनुमति भी नहीं ली गई थी। मरवाही और कोरिया ने वन मंडलाधिकारी ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों की मांग पर सडक़ निर्माण की बात कही है। विभाग ने अगस्त 2018 तक इस संबंध में कैग को जवाब नहीं दिया है।

पहले हुई थी 306.90 करोड़ की आपत्ति
कैग ने वर्ष 2011-12 से 2015-16 के लेखापरीक्षा प्रतिवेदन में 306.90 करोड़ की विभिन्न आपत्तियों पर विभाग का ध्यान आकर्षित किया था। इसमें से विभाग ने 85.44 करोड़ रुपए की आपत्ति को ही स्वीकार किया और उसमें से 18.45 करोड़ रुपए की वसूली की।

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