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स्वीपरों के करोड़ों रुपए हड़पने के मामले में पूर्व बीईओ एमएल पटेल संस्पेड

locationरायपुरPublished: Jan 17, 2020 01:44:31 am

Submitted by:

ashutosh kumar

2 करोड़ 83,42,408 रुपए का गलत तरीके से गबन किया

स्वीपरों के करोड़ों रुपए हड़पने के मामले में पूर्व बीईओ एमएल पटेल संस्पेड

स्वीपरों के करोड़ों रुपए हड़पने के मामले में पूर्व बीईओ एमएल पटेल संस्पेड

रायपुर. तत्कालीन बिल्हा विकास खण्ड के शिक्षा अधिकारी रहे एम.एल.पटेल के द्वारा सफाई कर्मचारियों के लिए आए करोडों रुपए को गलत तरीके से आहरण के आरोप में वर्तमान कोटा विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी एम.एल.पटेल को सस्पेंड कर दिया गया है । बिल्हा विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी रहते हुए एम.एल.पटेल के द्वारा 2014-15 से 2017-18 के बीच सफाई कर्मचारियों के लिए आए करीब 2 करोड़ 83,42,408 रुपए का गलत तरीके से गबन करने के मामले में तत्कालीन बिल्हा बीईओ एम.एल.पटेल को निलंबित कर दिया गया है।
शिक्षा अधिकारी पर लम्बे समय से इस मामले में जांच चल रही थी। निलंबन आदेश छत्तीसगढ़ शिक्षा मंत्रालय के आदेश क्रमांक एफ 1-29/2019/20 के आदेश से दिनांक 10.01.2020 को निकला है। आदेश में लिखा है कि एलएल पटेल का यह आचरण सिविल सेवा आचरण 1965 के नियम 3 के विपरीत गंभीर कदाचार है।
इसलिए इन्हें राज्य शासन एतद द्वारा एम.एल.पटेल तत्कालीन विकासखंड शिक्षा अधिकारी बिल्हा जिला बिलासपुर को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गी नियंत्रण अपील) नियम 1966 के नियम 9(1) (क) के प्रभाव से तत्काल निलंबित किया जाता है। अब इनका मुख्यालय कार्यालय संभागीय संयुक्त संचालक(शिक्षा) बिलासपुर नियत किया जाता है।

चेक में कई बार हेराफेरी करके निकाले गए रुपए
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में जब ये प्रकरण सामने आया तो एक जांच कमेटी गठित की गई थी। जांच कमेटी की रिपोर्ट विभाग को मिलने के बाद ही ये कार्रवाई की गई है। आरोप है कि शिक्षा विभाग की तरफ से स्वीपरों की नियुक्ति का आदेश बीईओ को दिया गया था, जिनके मानदेय भुगतान के लिए बीईओ को अधिकृत किया गया था। इस अधिकार के बाद बिल्हा के बीईओ ने इसका जमकर फायदा उठाना शुरू किया। मानदेय के लिए मिले बजट से हर माह पैसे निकाले तो गए, लेकिन वो पैसे स्वीपरों को दिए नहीं गए। मामले में चौंकाने बाली बात ये रही कि चेक में कांट-छांट कर कई बार उसमें रकम की बढ़ोत्तरी भी कर दी गई। वहीं 12 हजार रुपए को 2 लाख 12 हजार कर दिया और पैसे की निकासी की गई। इस तरह गड़बड़ी के फर्जीवाड़े की रकम पौने तीन करोड़ से ज्यादा हो गई। इस पूरे मामले में बीईओ ने स्वीपरों के नेताओं को अपने पक्ष में ले लिया और चेक में कांट-छांटकर उनसे ही पैसे का आहरण कराते रहे। लेकिन वो पैसा कार्यरत सफाईकर्मियों को नहीं दिया गया। सफाई कर्मचारी जब भी पैसे की मांग करते, तो उन्हें शासन से पैसे नहीं मिलने की बात कहकर भगा दिया जाता था।

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