चेक में कई बार हेराफेरी करके निकाले गए रुपए
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में जब ये प्रकरण सामने आया तो एक जांच कमेटी गठित की गई थी। जांच कमेटी की रिपोर्ट विभाग को मिलने के बाद ही ये कार्रवाई की गई है। आरोप है कि शिक्षा विभाग की तरफ से स्वीपरों की नियुक्ति का आदेश बीईओ को दिया गया था, जिनके मानदेय भुगतान के लिए बीईओ को अधिकृत किया गया था। इस अधिकार के बाद बिल्हा के बीईओ ने इसका जमकर फायदा उठाना शुरू किया। मानदेय के लिए मिले बजट से हर माह पैसे निकाले तो गए, लेकिन वो पैसे स्वीपरों को दिए नहीं गए। मामले में चौंकाने बाली बात ये रही कि चेक में कांट-छांट कर कई बार उसमें रकम की बढ़ोत्तरी भी कर दी गई। वहीं 12 हजार रुपए को 2 लाख 12 हजार कर दिया और पैसे की निकासी की गई। इस तरह गड़बड़ी के फर्जीवाड़े की रकम पौने तीन करोड़ से ज्यादा हो गई। इस पूरे मामले में बीईओ ने स्वीपरों के नेताओं को अपने पक्ष में ले लिया और चेक में कांट-छांटकर उनसे ही पैसे का आहरण कराते रहे। लेकिन वो पैसा कार्यरत सफाईकर्मियों को नहीं दिया गया। सफाई कर्मचारी जब भी पैसे की मांग करते, तो उन्हें शासन से पैसे नहीं मिलने की बात कहकर भगा दिया जाता था।