आज स्थिति यह है कि पहले 5-7 दिन में कोरोना संक्रमित मरीज स्वस्थ हो जाते थे, मगर अब 15 दिन तक लग रहे हैं क्योंकि वायरस नहीं जा रहा। पहले आईसीयू में भर्ती मरीज 12-14 दिन में ठीक हो रहे थे, अब 16-18 दिन तक लग रहे हैं। यह इसलिए क्योंकि पहले की तुलना में वायरस बहुत ज्यादा प्रभावी है। नए स्ट्रेन के खतरे को भांपते हुए, रायपुर एम्स ने जीनोम सीक्वेंसिंक जांच की तैयारी शुरू कर दी है। केमिकल खरीदी प्रक्रियाधीन है। 15 अप्रैल के करीब जांच शुरू होती है तो 7 दिन में नतीजे सामने आ जाएंगे। चाहे जो हो हमें सतर्कता पहले से कई गुना अधिक बरतने की जरुरत है।
आंबेडकर अस्पताल के आईसीयू इंचार्ज डॉ. ओपी सुंदरानी की जुबानी, बोले- मैं 3 दिन से सो नहीं पाया
बीते 3-4 दिन से एकदम से गंभीर मरीजों की संख्या बढ़ी है। हमारा 40 बेड का आईसीयू भर चुका है, जिनमें 99 प्रतिशत बुजुर्ग मरीज हैं। स्थिति यह है कि हर घंटे मरीज आ रहे हैं, मैं क्या हमारा कोई स्टाफ एक घंटे भी नींद नहीं ले पा रहा है। मैंने 17 बेड का एक और आईसीयू तैयार कर लिया है क्योंकि जरुरत तो पडऩी ही है। आप देखिए, यह स्थिति सितंबर में महसूस की थी जब कोरोना पीक पर था। स्थिति पर त्वरित नियंत्रण जरूरी है, क्योंकि आने वाले दिनों में मुश्किलें बढ़ सकती हैं। नियमों का पालन करके, टीका लगवाकर ही बचाव संभव है। इसके अतिरिक्त कुछ भी नहीं।
बीते 3-4 दिन से एकदम से गंभीर मरीजों की संख्या बढ़ी है। हमारा 40 बेड का आईसीयू भर चुका है, जिनमें 99 प्रतिशत बुजुर्ग मरीज हैं। स्थिति यह है कि हर घंटे मरीज आ रहे हैं, मैं क्या हमारा कोई स्टाफ एक घंटे भी नींद नहीं ले पा रहा है। मैंने 17 बेड का एक और आईसीयू तैयार कर लिया है क्योंकि जरुरत तो पडऩी ही है। आप देखिए, यह स्थिति सितंबर में महसूस की थी जब कोरोना पीक पर था। स्थिति पर त्वरित नियंत्रण जरूरी है, क्योंकि आने वाले दिनों में मुश्किलें बढ़ सकती हैं। नियमों का पालन करके, टीका लगवाकर ही बचाव संभव है। इसके अतिरिक्त कुछ भी नहीं।
हमसें आगे सिर्फ 3 राज्य, ये आंकड़े उपलब्धि नहीं (25 मार्च को मिले मरीजों की संख्या के मुताबिक) ये सब आंकड़े 7 मार्च तक नियंत्रण में थे, मगर वर्तमान स्थिति संक्रमण दर 6.8 प्रतिशत, रिकवरी रेट 94.8 प्रतिशत, मृत्युदर 1.215 प्रतिशत
डॉक्टरों की सलाह जिसे नजरअंदाज न करें सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार, कमजोरी, हरारत, सुस्ती, सांस लेने में तकलीफ, कफ जैसी कोई भी शिकायत हो तत्काल जांच करवाएं। एक दिन की भी देरी न करें। जांच रिपोर्ट आने से पहले अपने कंसल्टेंट को जानकारी दें। झोलाछाप कथित डॉक्टर, मेडिकल स्टोर से दवाएं न लें। बुजुर्गोंं का सबसे ज्यादा ध्यान रखें।
एम्स रायपुर वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैब के प्रिसिंपल इंवेस्टीगेटर डॉ. अनुदिता भार्गव ने बताया कि मरीज जल्दी टीक नहीं हो रहे, युवा ज्यादा संक्रमित हो रहे और मौतें बढ़ी हैं। कह सकते हैं कि वायरस पहले से ज्यादा खतरनाक है, मगर स्ट्रेन जांच के बाद ही पुख्ता तौर पर कुछ कह सकते हैं। हम जल्द जांच करेंगे।