scriptसात जिलों के किसानों के साथ कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग में धोखाधड़ी | Fraud in contract farming with farmers of seven districts | Patrika News

सात जिलों के किसानों के साथ कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग में धोखाधड़ी

locationरायपुरPublished: Oct 15, 2019 01:33:33 am

Submitted by:

lalit sahu

कंपनी के खिलाफ महासमुंद एसपी से मिले किसान
काले चावल का 80 लाख का भुगतान अटका

सात जिलों के किसानों के साथ कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग में धोखाधड़ी

सात जिलों के किसानों के साथ कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग में धोखाधड़ी

महासमुंद/रायपुर. कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग के नाम पर प्रदेश के सैकड़ों किसानों के साथ धोखे का मामला सामने आया है। महासमुंद की एक एग्रो कंपनी ने किसानों के साथ काला चावल (ब्लैक राइस) की खेती का करार किया। २६०० प्रति क्विंटल दाम देने का वादा किया। किसानों ने फसल उगाई तो उसे पूरा खरीदा नहीं। जितना खरीदा उसका पूरा भुगतान नहीं किया। जिनका भुगतान किया उसमें से कई के चेक बाउंस हो गए।
कंपनी संचालक से बातचीत कर आजिज आ चुके ७ जिलों के किसानों ने सोमवार को महासमुंद में प्रदर्शन किया। उन्होंने पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर भुगतान दिलाने की मांग की। किसान कलेक्टर से भी मिलने पहुंचे थे, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो पाई। किसानों ने बताया जून 2018 में लभरा गांव में माजिसा एग्रो प्रोडक्ट्स के संचालक अभिषेक बाफना के साथ किसानों की एक बैठक हुई थी। इसमें महासमुंद के अलावा, धमतरी, गरियाबंद, रायपुर, बेमेतरा, बालोद और दुर्ग जिले के कई किसान शामिल हुए। बाफना ने किसानों को अपने खेतों में काला चावल लगाने का प्रस्ताव दिया। उनका कहना था, उनकी कंपनी 2600 रुपया प्रति क्विंटल की दर से उनकी पूरी फसल खरीद लेगी। किसान इसपर तैयार हो गए। बीज भी अभिषेक बाफना की कंपनी से ही खरीदा। जनपद पंचायत सदस्य योगेश्वर चंद्राकर ने बताया, किसानों ने 12 हजार क्विंटल धान का उत्पादन किया था। तीन करोड़ रुपए का धान था। कंपनी ने उनकी पूरी फसल नहीं खरीदी। जिनकी खरीदी, उनका पूरा भुगतान नहीं किया और जिनका किया उनमें से कई का चेक बाउंस हो गया। चंद्राकर ने बताया कि अभी भी किसानों का लगभग 70 से 80 लाख रुपए बकाया है। जिस दौर में नीति आयोग जैसे सरकार के थिंक टैंक कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को बढ़ावा देने का सुझाव दे रहे हैं, किसानों के साथ एेसी धोखाधड़ी के दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं।
माजिसा एग्रो प्रोडक्ट्स के संचालक ने अभिषेक बाफना कहा कि किसानों के साथ जो भी एग्रीमेंट हुआ है, उसका दस्तावेज लेकर आएं। मेरा चेक गुम हो गया है। इसकी शिकायत बैंक में मैंने भी की है। चेक बाउंस हुआ है, तो किसानों को कोर्ट जाना चाहिए।

खनन परियोजना के खिलाफ सत्याग्रह पर ग्रामीण
सूरजपुर. हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के नेतृत्व में परसा कोल ब्लॉक प्रभावितों ने सूरजपुर के तारा गांव में अनिश्चितकालीन सत्याग्रह शुरू कर दिया है। उनका आरोप है, इस परियोजना के लिए ग्रामसभा की सहमति के बिना ही भूमि अधिग्रहण किया गया है। यह खनन परियोजना मंजूर नहीं है। संघर्ष समिति के उमेश्वर अर्मो ने बताया, खनन परियोजना को पर्यावरणीय स्वीकृति भी ग्रामसभा का फर्जी प्रस्ताव बनाकर हासिल किया गया है। यह पेसा कानून और भूमि अधिग्रहण कानून में उनको दिए अधिकारों का हनन है। अर्मो ने हसदेव अरण्य क्षेत्र में परसा, पतुरिया-गिदमुड़ी, मदनपुर साऊथ कोयला खनन परियोजनाओ को निरस्त करने और परसा ईस्ट केते बासन परियोजना के विस्तार पर भी रोक लगाने की मांग की है।

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