नहीं सोचा था कि विमान में सफर करेंगेमजदूरों ने कभी सोचा नहीं था कि वे एक दिन फ्लाइट का सफर कर पाएंगे। छत्तीसगढ़ की धरती पर वापस लौटने की उम्मीद धुंधली हो रही थी। वापस लौटने के बाद लोगों ने यह ठान लिया कि वे दोबारा कभी नहीं लौटेंगे। ज्योति रॉय, राजेश्वरी ने कहा कि नौकरी के लिए वे बेंगलूरु चले गए थे, लेकिन अब छत्तीसगढ़ में ही रहेंगे। नारायणपुर में काम करने वाले श्रमिकों की आंखों में भी अपने राज्य वापस लौटने की खुशी थी, वहीं कर्नाटक के हालातों का भी दर्द बयां कर रहे थे कि पैसे खत्म हो चुके थे। कोई भाषा समझता नहीं था। भूखे रहने की स्थिति आ चुकी थी। ऐसे समय ये अनजान लोग मसीहा बनकर सामने आए। टिकट बुक होने की खबर सुनकर छलके आंसूबैजनाथ गांव के टूकराम साहू और इसी गांव के हेमंत बुडेग ने बेंगलूरु से रायपुर वापसी की कहानी बयां की। उसने बताया कि छत्तीसगढ़ से 19 लोग बेंगलूरु के कोम्मलगुड़ु में दीनदयाल ग्रामीण कौशल विकास योजना के अंर्तगत काम करते थे, लेकिन 22 मार्च को कंपनी में काम बंद हो गया और सभी बेरोजगार हो गए। टीम में लड़कियां भी थी। एक समय सोच लिए थे कि साइकिल से निकल जाएंगे, लेकिन सहकर्मी साथियों, जिसमें लड़कियां भी शामिल थी, उनकी चिंता सताने लगी। कहीं कोई उम्मीद कि किरण नजर नहीं आ रही थी। तभी तीन दिन पहले फोन आया कि बेंगलूरु से रायपुर के लिए साथियों की फ्लाइट की टिकट बुक हो गई है। इस आवाज को सुनकर आंखों से आंसू आ गए। इसके बाद घर तक बस पहुंची। पूरे रास्ते में बेंगलूरु की टीम मदद करती रही। [typography_font:14pt;” >रायपुर. गुरूवार को सुबह 9.50 बजे जब बेंगलूरु से 179 श्रमिक माना एयरपोर्ट पहुंचे तो उनकी आंखें नम हो गई। जो कभी साइकिल या पैदल आने की सोचते थे, उन्हें एयरलिफ्ट कराया गया। कई ऐसे परिवार थे, जिसने वापस आने की उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन इनके लिए मसीहा बनकर आया दोस्तों का ऐसा ग्रुप, जिनकी मिसाल आज पूरा छत्तीसगढ़ दे रहा है। मजदूरों को एयरलिफ्ट कराने की कहानी भी दिलचस्प है। प्रदेश का पहला ऐसा ऑपरेशन हुआ, जिसमें मजदूर चार्टर्ड फ्लाइट से छत्तीसगढ़ पहुंचे। दरअसल यह बेंगलूरु और रायपुर के दोस्तों की ऐसी मिसाल है, जिन्होंने 5 दिनों के भीतर ही कर्नाटक में फंसे छत्तीसगढ़ के मजदूरों को वापस लाने के लिए 32 लाख रुपए जुटाकर चार्टर्ड प्लेन किराए पर ले लिया। इस कहानी की शुरूआत होती है रायपुर के जैव विविधता वैज्ञानिक अनुपम सिंह सिसोदिया और दिल्ली में सुुप्रीम कोर्ट के वकील सिद्धांत बख्शी से। दोनों रायपुर के राजकुमार कॉलेज से पासआउट हैं अनुपम को जब एनजीओ संस्था के जरिए बेंगलूरु में श्रमिकों के फंसे होने की जानकारी मिली तो उन्होंने सिद्धांत से चर्चा की। सिद्धांत नलसार लॉ यूनिवर्सिटी हैदराबाद के छात्र रहे थे, उन्होंने नलसार और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी बेंगलूरु के एलुमनाई ग्रुुप और पूर्व छात्रों से संपर्क साधा। इस ऑपरेशन में रायपुर और बेंगलूरु से 50 लोगों की टीम बनी। बेंगलूरु में श्रमिकों को बस से लाने से लेकर एयरपोर्ट तक हवाई सफर के लिए पूरी रणनीति बनी। इस ऑपरेशन के लिए दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में वकील प्रियंका वोरा ने केंद्र सरकार के विभागों से हवाई उड़ान के लिए कम समय में कागजी कार्रवाई पूरी की।आज दूसरी फ्लाइट से आएंगे 180 श्रमिकसराईपाली के महेश, आनंद, रमेश और अनिल चौहान ने मददगारों का आभार जताया। 5 जून को दूसरी फ्लाइट में 180 श्रमिक रायपुर पहुंचेंगे। यह चार्टर्ड फ्लाइट भी इसी टीम के जरिए भेजा जा रहा है। समर्थ चेरिटेबल संस्था की छग टीम लीडर मंजीत कौर और वी द पीपल संस्था के विनयशील ने भी इस ऑपरेशन में रायपुर से बड़ी भूमिका निभाई।