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48 घंटे से पानी में डूबी है सड़कें, सूचना के बावजूद भी लोगों को नहीं मिली राहत

locationरायपुरPublished: Jul 13, 2018 11:15:12 am

Submitted by:

Deepak Sahu

छत्तीसगढ़ की राजधानी के दर्जनों इलाकों में बारिश के बाद लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

water on road

48 घंटे से पानी में डूबी है सड़कें, सूचना के बावजूद भी लोगों को नहीं मिली राहत

रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी के दर्जनों इलाकों में बारिश के बाद लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। कविता नगर में इसी तरह के कई परिवार हैं, जिनके घरों से आज तक कीचड़ और पानी नहीं निकल पाया है।इस संबंध में पीडि़तों द्वारा जिला प्रशासन के आपदा प्रबंधन कंट्रोल रूम में इसका शिकायत की, लेकिन उन्हें मदद नहीं मिल पाई।
कंट्रोल रूम में तैनात कर्मचारी भूपेंद्र गजभिए ने बताया कि बारिश में जल जमाव से पीडि़त लोगों की शिकायत को नगर निगम में ट्रांसफर किया जाता है। वहां से फीडबैक भी लिया जाता है और उनकी रिपोर्ट के आधार पर समस्या का निराकरण होना बताया जाता है। लेकिन पत्रिका की पड़ताल में पता चला कि शहर के आधा दर्जन इलाकों में 48 घंटे पहले हुई बारिश का पानी अब भी जमा है। अब तक आपदा प्रबंधन में 14 शिकायतें जल भराव की आई हैं।

ताजनगर, पंडरी
ताजनगर में भी नाली की से पानी निकासी नहीं होने से घरों में दैनिक उपयोग का गंदा पानी वापस से घरों में घुस रहा है। इस संबंध में स्थानीय लोगों ने कई बार निगम में शिकायत की है, लेकिन निराकरण के नाम पर खानापूर्ति करके टीम वापस लौट चुकी है।

रावणभाठा, गणेश
मूर्ति के पासयहां के कई घरों में पानी भरने की शिकायत सुरेंद्र सोनकर, आत्माराम साहू, अरविंद देवांगन, शारदा देवांगन ने आपदा प्रबंधन में शिकायत की थी। यह जोन क्रमांक-6 में आता है। इसके बाद जोन कमिश्नर जीएस क्षत्री ने आपदा प्रबंधन को गलत जानकारी देते हुए कह दिया कि सुबह छह बजे से टीम लगी हुई है।
समस्या का निराकरण हो चुका है। जबकि, हालात आज भी बेहद खराब हैं।

गोरखा कालोनी, न्यू शांति नगर: सड़कों में भरा पानी
गोरखा कालोनी में भी यही हाल देखने को मिला। मंगलवार से बुधवार तक यहां के तकरीबन 11 परिवार बंधक बने रहे। गुरुवार को पानी निकलने के बाद जनजीवन व्यवस्थित हुआ।

कविता नगर
कविता नगर के महेश अग्रवाल मंगलवार की रात एक शादी समारोह में घर से बाहर सपरिवार गए हुए थे। रात तकरीबन 12 बजे जब वो अपनी कॉलोनी पहुंचे तो कालोनी तालाब बनी हुई थी। सभी मकान छह फीट तक डूब चुके थे। उन्होंने अपने मकान ए/2 की ओर बढ़ कर गेट खोलने की कोशिश की, लेकिन गेट नहीं खुला और उन्हें दूसरी कॉलोनी में अपने एक मित्र की घर शरण लेनी पड़ी।

दूसरे दिन जब कुछ जल स्तर कम हुआ, तब वो अपने घर के भीतर गए तो उन्हें घर का बेड, सोफा, गैस सिलेंडर समेत अधिकांश समाना पानी में तैरता मिला। राशन, घरेलू सामान, दूसरी कक्षा में पढऩे वाली बेटी ईशिता की किताबें कीचड़ में सन गई थी। बारिश के दूसरे दिन ही उन्होंने आपदा प्रबंधन में इसकी सूचना दी। निगम के कुछ कर्मचारी आए भी लेकिन कालोनी के नाले का कुछ कचरा निकाल कर वापस चले गए।
नगर निगम कमिश्नर रजत बंसल बारिश के दौरान आपदा प्रबंधन के लिए दल तैनात किए गए हैं। जहां-जहां जलभराव की शिकायत आती है, वहां दल भेजकर राहत कार्य किया जाता है। नगर निगम के हर जोन में टीम तैनात है।
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