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Ganesh Chaturthi 2021: घर से लेकर पंडाल तक कल विराजेंगे विघ्नहर्ता, जानिये स्थापना की पूजा विधि व शुभ मुहूर्त

locationरायपुरPublished: Sep 09, 2021 11:21:47 am

Submitted by:

Karunakant Chaubey

Ganesh Chaturthi 2021: हर साल भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक प्रथम पूज्य देव गणेश जी का पूजा उत्सव मनाया जाता है, लेकिन कोरोनाकाल के कारण पिछले साल से यह उत्सव कमजोर पड़ा है।

रायपुर. गणेशोत्सव पर कोरोना की सख्त और देर से जारी की गई गाइडलाइन का असर साफ दिखाई दे रहा है। मूर्तिया लाने में बैंडबाजा, डीजे पर रोक है। शहर के बहुत कम जगहों पर पूजा पंडाल बनाने की तैयारियां चल रही हैं। वहां सजावट की जगह केवल पूजा की रस्में ही पूरी करने का निर्णय उत्सव समितियों ने लिया है।

बाजारों में जरूर छोटी-छोटी गणेश मूर्तियां को सजाया गया है। ताकि अधिक से अधिक लोग खरीद सकें। लोग मनमोहक गणेश मूर्तियां घरों में विराजने के लिए खरीदने भी लगे हैं। मूर्तिकारों में वैसा उत्साह नहीं, जैसा कि हुआ करता था। गणेश चतुर्थी पर 10 सितंबर को गणपति बप्पा विराजेंगे और अनंत चतुर्दशी यानी 10 दिनों तक सुबह-शाम पूजा-आरती, भजन का माहौल रहेगा।

हर साल भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक प्रथम पूज्य देव गणेश जी का पूजा उत्सव मनाया जाता है, लेकिन कोरोनाकाल के कारण पिछले साल से यह उत्सव कमजोर पड़ा है। आकर्षक सजावट और अनेक रूपों में गणेश जी भव्य मूर्तियों के दर्शन से लोग वंचित हुए हैं। केवल 3 से 4 फीट की मूर्ति गणेशोत्सव समितियां विराज कर पूजा परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं। सबसे पुराने गुढि़यारी पड़ाव में 103 सालों का भव्य उत्सव की जगह पूजा रस्में पूरी की जा रही हैं।

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गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त

पंडित मनोज शुक्ला के अनुसार गणेश चतुर्थी शुक्रवार को है। इस दिन से उत्सव शुरू होगा। मूर्ति स्थापना का शुभमुहूर्त सुबह 11.03 बजे से मध्यान्ह काल तक और संध्या प्रहर है। भगवान गणेश जी का जन्म दोपहर के समय हुआ था। चतुर्थी तिथि प्रारंभ सूर्योदय से लेकर पूरे दिन रहेगी। विसर्जन अनंत चतुर्दशी पर 19 सितंबर को होगा।

गणेश स्थापना और पूजा विधि

सबसे पहले पूजास्थल को गंगाजल छिड़क कर शुद्ध कर लें। इसके बाद भगवान गणेश जी का आह्वान और मंत्रोच्चार करें। दोपहर के समय शुभ मुहूर्त में प्रतिमा एक चौकी पर लाल कपड़े के ऊपर अक्षत,सुपारी, कलश के साथ स्थापित करें। सिन्दूर और गणेश जी का सबसे प्रिय मोदक लड्डू, पुष्प और 21 दूर्वा अर्पित करें। “ऊँ गणाधिपतये नम:” मंत्र का जाप करें।

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