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आजीविका केंद्र के रूप में विकसित हो रहे हैं गौठान

locationरायपुरPublished: Jul 02, 2020 10:08:06 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

फसलों की सुरक्षा और पशुधन की बेहतर देखभाल के साथ ही गौठान आजीविका केंद्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh Government) की महत्वाकांक्षी नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना (Narwa Garwa Ghurwa Badi Scheme) के तहत गांवों में निर्मित गौठान रोजगार-हब के रूप में भी तैयार हो रहे हैं।

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रायपुर. फसलों की सुरक्षा और पशुधन की बेहतर देखभाल के साथ ही गौठान आजीविका केंद्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh Government) की महत्वाकांक्षी नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना (Narwa Garwa Ghurwa Badi Scheme) के तहत गांवों में निर्मित गौठान रोजगार-हब के रूप में भी तैयार हो रहे हैं।
प्रदेश के अनेक गौठानों में स्वसहायता समूहों की महिलाएं कई तरह के स्वरोजगार कर रही हैं। इससे वे अपने घरों की माली हालत तो सुधर ही रही हैं, गांव की अर्थव्यवस्था को भी गति दे रही है। राज्य शासन पशुपालकों की आय बढ़ाने इस साल हरेली से गोधन न्याय योजना भी शुरू कर रही है। इसके अंतर्गत पशुपालकों से गोबर की खरीदी कर जैविक खाद और अन्य उत्पाद तैयार किए जाएंगे।
सुकमा जिले के रामपुरम में तीन स्वसहायता समूहों की महिलाएं नाडेप और वर्मी कंपोस्ट, पेवर-ब्लॉक तथा ट्री-गॉर्ड बनाने का काम कर रही हैं। वहां के गीदम नाला स्थित गौठान में गांव की कुछ और स्वसहायता समूहों की महिलाएं मुर्गीपालन व मछलीपालन की तैयारी कर रही हैं। गौठान में मुर्गीपालन के लिए शेड और मछलीपालन के लिए टैंक निर्माण का काम लगभग पूरा हो गया है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत रामपुरम में गठित स्वसहायता समूहों की महिलाएं जागरूक होकर विभिन्न रोजगारपरक गतिविधियों में रूचि ले रही हैं।
रामपुरम के गौठान में गांव की दुर्गा स्वसहायता समूह की दस महिलाओं द्वारा जैविक खाद के निर्माण के साथ वहां आजीविकामूलक गतिविधियों की शुरूआत हुई थी। इन महिलाओं ने अब तक 65 हजार रूपए से अधिक का वर्मी और नाडेप खाद तैयार किया है। इसमें से 30 हजार रूपए के खाद की बिक्री वन विभाग और उद्यानिकी विभाग को की गई है।
गांव की गुलाब स्वसहायता समूह की महिलाएं गौठान में पेवर-ब्लॉक बना रही हैं। समूह की महिलाओं ने आपस में डेढ़ लाख रूपए एकत्र कर और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा तीन लाख रूपए की वित्तीय मदद से इस काम को शुरू किया है। समूह ने पेवर-ब्लॉक निर्माण के लिए साढ़े चार लाख रूपए की लागत से मिक्सर मशीन, वाइब्रेशन मशीन और कलरिंग मशीन खरीदी है। समूह की दस महिलाएं इस काम में लगी हैं। वे रोज करीब एक हजार पेवर-ब्लॉक तैयार कर रही हैं।
गांव की ही शंकर स्वसहायता समूह की महिलाएं ट्री-गार्ड बनाने का काम कर रही हैं। इनके बनाए ट्री-गार्ड वन विभाग द्वारा 350 रूपए प्रति ट्री-गार्ड की दर से खरीदा जा रहा है। ट्री-गार्ड बनाने के लिए बांस चीरने की मशीन वन विभाग द्वारा समूह को उपलब्ध कराई गई है। गांव की कुछ और महिलाएं गौठान में मुर्गीपालन और मछलीपालन की तैयारी कर रही हैं।
मुर्गीपालन के लिए लिए शेड और मछलीपालन के लिए टैंक निर्माण का काम लगभग पूरा हो चुका है। राज्य सरकार द्वारा कुपोषण मुक्ति के लिए स्कूलों और आंगनबाड़ियों में बच्चों को अंडे खिलाए जा रहे हैं। समूह की महिलाओं द्वारा स्कूलों और आंगनबाड़ियों में अंडे की आपूर्ति के लिए लेयर फार्मिंग की जाएगी।
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