बहिनी के मया
बड़े बहिनी के जब सुरता आय तब सबितरी रोवय। दस-पंदरा दिन के गेय ले सबितरी घला सबर दिन बर आंखी ल मूंद दिस। गांव भर गोठ होवय- ये हरय बहिनी अउ बहिनी मया। एकझन सियनहा ह समसान ठउर म किहिस- ये दे गयतरीय गउंटनिन के दाग देय जगा म ही वोकर बहिनी सबितरी के चिता ल रचौ गा। काबर ऐमन ल अलग करबोन रे भई।
रायपुर
Published: May 16, 2022 04:53:10 pm
बड़े के नाव गयतरीय अउ नान्हे के नाव सबितरी। दूनों बहिनी एके गांव म सग ममा-फुफू के भाईमन बर ससरार आय रिहिन। याने दूनों देरानी-जेठानी घला होगे। दूनों बहिनी एक-दूूसर बर अबड़
मया करंय।
गयतरी ह गांव म गौंटिया घर के बहू होय रहय। सबितरी ल थोरिक गरीबहा ससरार मिले रहय। गयतरीय ह थोरिक बने-गिनहा नइ लगे ले अपन रउतइन ले खभर पठोय सबितरी करा। सबितरी ह खभर पा के सरी बुता ल छोड़ के जाय। इही बेरा दूनों बहिनी सुख-दुख गोठियांय। घर लहुटत खानी गयतरीय ह सबितरी ल अपन बांटा के रोटी-पीठा अउ नइ ते खाई-खजानी देवै। इंकर मया ल पारा-परोस अउ सगा-सोदरमन घला बड़ सहरांय। कभु होय सुख- दुख के काम म दूनोच बहिनी संघरा जांय।
बखत के गुजरत दूनों बहिनी सियनहिन होगें, फेर इंकर मया के गांठ थोरकिन ढिल्लानइ होइस। अब दूनों फिसिर-फासंर करंय, ये बुढ़ापा सरीर होय ले। बनेच सियनहिन होगें। अब एक-दूसर के घर अवई-जवई अउ मिलई-जुलई कम होगे। अपन-अपन घर म रहंय। एक घांव गयतरीय ल बने नइ लागिस। दूनों बहिनी के घर के मनखेमन ह सबितरी ल गयतरीय के बने नइ लागे के गोठ ल नइ बताइन। तभो ले कइसनो करके सबितरी ल बड़े बहिनी के बने नइ लागे के बात ह पता चल गे। फेर, दूनों के घर वालेमन बने-बने होय के गोठ गोठियादिन। सबितरीमन मार के रहिगे।
एक दिन गयतरीय गुजर गे। सबितरी ल पता चल गे। कइसनो कर के लउठी धरे थेबत-थाबत बहिनी घर गिस। कंदर-कंदर के रोवय। गयतरीय के कामकाज निपटिस। गयतरीय के बीते ले सबितरी घलो खटिया धर लिस। जब मन करय, तब सबितरी ह पढ़-पढ़ के रोवय। बहिनी, बहिनी तंय मोला छोंड़ के चल देयेस बहिनी। तोर एक टिपा लहू के छोंड़े ले मंय आयेंव बहिनी। अहां। महुं ला बला ले मोर बहिनी अहां। तोर बिना मंय कइसे जी के रहूं। बहिनी मोर अहां।
बड़े बहिनी के जब सुरता आय तब सबितरी रोवय। दस-पंदरा दिन के गेय ले सबितरी घला सबर दिन बर आंखी ल मूंद दिस। गांव भर गोठ होवय- ये हरय बहिनी अउ बहिनी मया। एकझन सियनहा ह समसान ठउर म किहिस- ये दे गयतरीय गउंटनिन के दाग देय जगा म ही वोकर बहिनी सबितरी के चिता ल रचौ गा। काबर ऐमन ल अलग करबोन रे भई। एक जगा रइहीं बपरीमन ह। सब झन हव-हव कहिन।

बहिनी के मया
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