जानिए, अस्पताल पर कैसे पड़ता है भार
रॉशन कार्ड, स्मार्ट व आयुष्मान कार्ड से इलाज कराने पर सरकार की तरफ से बीमारियों पर निर्धारित राशि का 40 प्रतिशत अस्पताल और 35 प्रतिशत मुख्यमंत्री कोष में जाता है। 25 प्रतिशत में डॉक्टर व अन्य पैरामेडिकल स्टॉफ को इंसेंटिव मिलता है। विशेषज्ञों की मानें तो अस्पताल को जो 35 प्रतिशत राशि मिलती है,उससे ही प्रबंधन दवाएं व अन्य उपकरण की व्यवस्था करता है। ‘माननीयों’ के लेटर पेड पर मुफ्त इलाज कराने पर अस्पताल के खातें में कुछ नहीं आता है। डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टॉफ भी इंसेंटिव से वंचित हो जाते हैं।
माननीय भी समझें और मरीज भी
राशन कार्ड, स्मार्ट व आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी कुछ लोग ‘माननीयों’ के घर पहुंच जाते हैं। अब ‘माननीय तो माननीय ठहरें’ मदद करने के नाम पर पत्र में हस्ताक्षर कर देते हैं। या कहें कि उपकृत करने के लिए। मगर, ये दोनों को समझना होगा कि जब राशन कार्ड से मुफ्त इलाज की व्यवस्था है तो फिर लेटर पेड जाया करने की जरूरत क्या है। कई बार राशनकार्ड होने के बावजूद दोहरा लाभ लेने के लिए अनुशंसा पत्र बनवाया जाता है।
डीकेएस में नहीं चलता अनुशंसा पत्र
दाऊ कल्याणसिंह सुपर स्पेशलिटी (डीकेएस) अस्पताल में मंत्रियों या विधायकों की अनुशंसा पर मुफ्त में इलाज नहीं किया जाता है। यहां मुख्यमंत्री की अनुशंसा पर ही किसी का मुफ्त इलाज होता है। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने सख्त हिदायत दे रखी हैं कि संजीवनी कोष से राशि मिलती है या मुख्यमंत्री के कहने पर ही फ्री इलाज की व्यवस्था करें। जो भी प्रकरण आएंगे बिना संजीवनी कोष के उसको स्वीकृति डीकेएस नहीं करेगा।