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राशन कार्ड से कराएं मुफ्त इलाज, माननीयों के पत्र की जरूरत नहीं

locationरायपुरPublished: Feb 15, 2020 04:28:14 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

राजधानी के डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में फ्री इलाज के लिए माननीयों (मंत्री, विधायक, सांसद) के अनुशंसा पत्र लेकर रोजाना 15 से 20 मरीज पहुंच रहे हैं।

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रायपुर/अभिषेक राय. राजधानी के डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में फ्री इलाज के लिए माननीयों (मंत्री, विधायक, सांसद) के अनुशंसा पत्र लेकर रोजाना 15 से 20 मरीज पहुंच रहे हैं। इसमें अधिकांश ऐसे मरीज हैं, जिनके पास राशन कार्ड या आयुष्मान कार्ड है। अब माननीयों के पत्र पर आपत्ति कौन करे? कौन डॉक्टर अपनी गर्दन फंसाए? इसलिए इलाज कर दिया जाता है। मगर इलाज का आर्थिक भार अस्पताल पर पड़ रहा है। आंबेडकर में महीने में माननीयों के अनुशंसा पत्र से 15 लाख तक का फ्री इलाज करना पड़ रहा है।
अब आंबेडकर अस्पताल प्रबंधन ने माननीयों के प्रतिनिधियों को समझाना शुरू कर दिया है। इनकों कहा जा रहा है- मरीज के पास राशन कार्ड है तो फिर अनुशंसा-पत्र लेकर मत आया करो। प्रदेश में सालों से अनुशंसा-पत्र का सिस्टम चला आ रहा है, जिसका नियमों में कहीं प्रावधान नहीं है। न ही सरकार ने कभी इससे संबंधित आदेश जारी किया है। डीकेएस प्रबंधन के बाद आंबेडकर अस्पताल प्रबंधन ने माननीयों से पत्र न लिखने का निवेदन किया है।

जानिए, अस्पताल पर कैसे पड़ता है भार
रॉशन कार्ड, स्मार्ट व आयुष्मान कार्ड से इलाज कराने पर सरकार की तरफ से बीमारियों पर निर्धारित राशि का 40 प्रतिशत अस्पताल और 35 प्रतिशत मुख्यमंत्री कोष में जाता है। 25 प्रतिशत में डॉक्टर व अन्य पैरामेडिकल स्टॉफ को इंसेंटिव मिलता है। विशेषज्ञों की मानें तो अस्पताल को जो 35 प्रतिशत राशि मिलती है,उससे ही प्रबंधन दवाएं व अन्य उपकरण की व्यवस्था करता है। ‘माननीयों’ के लेटर पेड पर मुफ्त इलाज कराने पर अस्पताल के खातें में कुछ नहीं आता है। डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टॉफ भी इंसेंटिव से वंचित हो जाते हैं।

माननीय भी समझें और मरीज भी
राशन कार्ड, स्मार्ट व आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी कुछ लोग ‘माननीयों’ के घर पहुंच जाते हैं। अब ‘माननीय तो माननीय ठहरें’ मदद करने के नाम पर पत्र में हस्ताक्षर कर देते हैं। या कहें कि उपकृत करने के लिए। मगर, ये दोनों को समझना होगा कि जब राशन कार्ड से मुफ्त इलाज की व्यवस्था है तो फिर लेटर पेड जाया करने की जरूरत क्या है। कई बार राशनकार्ड होने के बावजूद दोहरा लाभ लेने के लिए अनुशंसा पत्र बनवाया जाता है।

डीकेएस में नहीं चलता अनुशंसा पत्र
दाऊ कल्याणसिंह सुपर स्पेशलिटी (डीकेएस) अस्पताल में मंत्रियों या विधायकों की अनुशंसा पर मुफ्त में इलाज नहीं किया जाता है। यहां मुख्यमंत्री की अनुशंसा पर ही किसी का मुफ्त इलाज होता है। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने सख्त हिदायत दे रखी हैं कि संजीवनी कोष से राशि मिलती है या मुख्यमंत्री के कहने पर ही फ्री इलाज की व्यवस्था करें। जो भी प्रकरण आएंगे बिना संजीवनी कोष के उसको स्वीकृति डीकेएस नहीं करेगा।

आंबेडकर अस्पताल अधीक्षक डॉ. विनीत जैन ने कहा, विधायक व सांसदों को पत्र लिखा गया है कि जिन मरीजों के पास सरकारी योजनाओं का लाभ लेने का कोई जरिया नहीं है और जिन्हें जरूरी है, उन्हें ही अनुशंसा पत्र प्रदान करें।
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