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जिस परिसर में धूम्रपान और शराब सेवन तक प्रतिबंधित वहां काटा बकरा, गिरफ्तार

locationरायपुरPublished: Jul 11, 2022 01:18:27 pm

Submitted by:

Mansee Sahu

इस संबंध में दो लोगों गिरफ्तार किया गया व नगर निगम के द्वारा जांच की जा रही है एवं पार्किंग ठेकेदार को परिसर के गलत इस्तेमाल के संबंध में नोटिस दिया जा रहा है।

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रायपुर। पुलिस को बकरीद के दिन शिकायत मिली की कुछ लोगों ने मल्टीलेवल पार्किंग के पीछे हिस्से में ही बकरा काट दिया है। यह पार्किंग कलेक्ट्रेट परिसर में ही है। ऐसी खबर है की यहां दो बकरे काटे गए। सोशल मीडिया में डाले गए वीडियो के द्वारा भी पुलिस व प्रशासनिक अफसरों तक यह खबर पहुंची। वीडियो में एक बकरे को परिसर में ही बंधा गया है।

कलक्ट्रेट परिसर प्रतिबंधित क्षेत्र है और उसे गांधी धाम घोषित किया जा चुका है। परिसर में धूम्रपान और शराब सेवन तक प्रतिबंधित है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियों में साफ दिखाई दे रहा है कि तीन लोग पेड़ के नीचे पर्दे लगाकर बकरे की बलि देने के बाद वहीं पर मांस काट रहे हैं। यही नहीं पार्किंग की पहली मंजिल पर एक बकरा बंधा हुआ दिखाई दे रहा है।
पुलिस जब वहां पहुंची तो हैरान रह गयी दरअसल मल्टीलेवल पार्किंग का ठेकेदार मोहम्मद शोएब व उसके कुछ साथी वहां थे जो गोश्त काट रहे थे। इस संबंध में दो लोगों गिरफ्तार किया गया व नगर निगम के द्वारा जांच की जा रही है एवं पार्किंग ठेकेदार को परिसर के गलत इस्तेमाल के संबंध में नोटिस दिया जा रहा है।

क्या कहती है धर्म गुरुओं की ओर से जारी गाइडलाइंस
इंडियन मुस्लिम फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स संगठन और अन्य धर्म गुरुओं की ओर से गाइडलाइंस जारी की गई थी। गाइडलाइन में कहा गया था जानवर को खुले में न बांधें। दूसरों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए अपशिष्ट पदार्थ फुटपाथ, सड़कों या सीवरों में नहीं पड़ना चाहिए। बलि की अनुमति केवल निर्धारित स्थानों पर ही दी गई है। इसके साथ ही परिवहन या बाजार में जानवरों के साथ कोई क्रूरता नहीं होनी चाहिए। कुर्बानी बूचड़खाने में करें, न कि अपने घर के अंदर या अपने दरवाजे के बाहर, और यह भी सुनिश्चित करें कि खून या मैला सड़क पर न जाए।
ईद-उल-अजहा या बकरीद का दिन फ़र्ज-ए-कुर्बान का दिन होता है। आमतौर पर हम सभी जानते हैं कि बकरीद के दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है। मुस्लिम समाज में बकरे को पाला जाता है और उसे बकरीद के दिन कुर्बान कर दिया जाता हैं जिसे फ़र्ज-ए-कुर्बान कहा जाता है। यह त्याग की भावना को प्रदर्शित करने का पर्व है।

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