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भगवान भाव के हैं भूखे, 14 स्थान ही भक्ति मार्ग

locationरायपुरPublished: Feb 26, 2020 01:46:59 am

Submitted by:

VIKAS MISHRA

महामाया मंदिर परिसर में रामकथा में संत मैथिलीशरण ने कहा

भगवान भाव के हैं भूखे, 14 स्थान ही भक्ति मार्ग

भगवान भाव के हैं भूखे, 14 स्थान ही भक्ति मार्ग

रायपुर. महामाया मंदिर में चल रहे रामकिंकर प्रवचन माला में प्रेम का स्वरूप प्रसंग विषय की व्याख्या करते हुए संत मैथिलीशरण भाई ने कहा कि प्रेम में बुद्धि और ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती। श्रीराम और सीता और आंखों के अंदर की पुतलियां लक्ष्मण हैं। जीव पर किसी भी प्रकार का आघात होता है अथवा विपत्ति आती है सबसे पहले उसकी पलकें ही बंद होती हैं। क्योंकि पलकें नहीं चाहती कि आंखों के अंदर की पुतलियों को किसी भी प्रकार का कोई आघात पहुंचे।
भाईजी ने कहा कि भगवान श्रीराम ने शबरी को नौ भक्ति दी थी और 14 वर्षों के वनवास में वाल्मिकीजी ने भगवान श्रीराम को रहने के लिए 14 स्थान बताए। ये 14 स्थान भगवान की भक्तिके मार्ग हैं। सांसारिक जीव भगवान की इन 23 भक्ति में से किसी एक भक्ति को पकड़कर सारी समस्याओं को सुलझा सकता है।

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