रिसर्च पेपर पढ़ा
प्रो. सुचेतन ने बताया कि मैंने इस विषय में काफी रिसर्च पेपर पढ़े हैं। मुझे लगा कि इंसुलिन लेने के तरीकों को आसान बनाया जा सकता है। मैंने अपना आइिडया आईवायबीए में भेजा। यह संस्था यंग साइंटिस्ट को इनोवेशन और रिसर्च के लिए बढ़ावा देती है। मेरे आइडिए को सलेक्ट कर लिया गया है। इससे पहले मैंने कैंसर डिटेक्शन पर भी काम किया है।
50 लाख रुपए की ग्रांट
इस रिसर्च के लिए 50 लाख रुपए की ग्रांट मिलेगी। डॉ. पॉल ने कहा कि कोई भी ईजाद तभी फायदेमंद साबित होती है जब वह आम लोगों की पहुंच में आए। महंगा इलाज सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि कई विकसित देशों में भी है। मेरी कोशिश हमेशा से हैल्थ की फील्ड में अफॉर्डेबल और स्मार्ट ट्रीटमेंट की रही है।
एेसे करेगा काम
डॉ. सुचेतन ने बताया कि अभी हम इंसुलिन लेते हैं तो शुगर लेवल कम हो या ज्यादा इंसुलिन का प्रोडक्शन शुरू हो जाता है। हम जो स्मार्ट इंसुलिन तैयार कर हैं वह ग्लूकोज के ज्यादा लेवल पर भी काम करेगा। यह टाइप वन और एडवांस टाइप टू मरीजों के लिए कारगार होगा। हालांकि यह भी इंजेक्टेड होगा लेकिन हम इसे टैबलेट के रूप में तैयार कर रहे हैं। विदेशों में इस पर का चल रहा है। वहां यह काफी एक्सपेंसिव है।