शासकीय अभिलेख में पहली पत्नी का नाम दर्ज था, जो महज 7 साल के बाद छोड़कर चली गई, जबकि वह 27 साल से मृत्यु तक साथ में थी। इलाज के खर्चे भी उसने वहन किए थे, लेकिन समस्त शासकीय जमा राशि और पेंशन प्रथम पत्नी को मिली। क्योंकि मृतक ने शासकीय दस्तावेज में उनका नाम जोडऩे आवेदन दिया था। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि विवाह करने वाली महिलाओं को शासकीय सेवा पुस्तिका में अपना दर्ज कराना चाहिए। अन्यथा शासकीय सेवक की मृत्यु के बाद इस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस मामले में दोनों पक्षों ने सहमति से हल निकालने के लिए समय की मांगी है।
बच्चों की पढ़ाई के लिए दो हजार रुपए हर माह देगा पिता
दूसरे प्रकरण में एक महिला ने अपने पति के खिलाफ शिकायत की थी। जिसमें कहा गया था कि उनका पति उससे और उनके बच्चों के साथ मारपीट करता है। इस मामले में बच्चों के भविष्य को देखते हुए आयोग ने पति-पत्नी को समझाइश दी। साथ ही पत्नी और बच्चों को पति के नए मकान में रखने पति को निर्देशित किया। पति ने बच्चों की पढ़ाई का खर्च के साथ 2 हजार रुपए प्रतिमाह देने पर सहमत हुआ।