बच्चे ऐसे स्कूल में पढ़ाई करते हैं, जहां की दीवार कभी भी टूट सकती है और छत भरभराकर गिर सकती है। इस खतरे के बीच प्राथमिक स्कूल में मासूम बच्चे अध्ययन करने पहुंचते हैं। जिले में ऐसे 81 स्कूल हैं जो पूरी तरह से बदहाल हो चुके हैं और तोडऩे योग्य हैं। इसके बाद भी हजारों बच्चे यहां अपना भविष्य तैयार करने पर जुटे हैं। इसमें 67 प्राथमिक और 14 पूर्व माध्यमिक स्कूल हैं। मतलब बच्चों की जहां से नींव तैयार होती है वहीं उन पर खतरा मंडरा रहा है, बावजूद इस पर ध्यान नहीं है।
कबीरधाम के डीईओ सीएस ध्रुव ने बताया की शासन से जिन जर्जर स्कूलों के मरम्मत के लिए राशि स्वीकृत हुई है वहां पर कार्य कराया जा रहा है। भवन की मांग भी शासन से की गई है।