कंपनी और शासन के बीच हुए एमओयू के आधार पर अब कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किया जाना चाहिए था, लेकिन नए टेंडर में अवसर देने के लिए कंपनी को अभयदान दे दिया गया है। हड़ताल के दौरान शासकीय कर्मचारियों की मदद से सेवाएं संचालित हो रही हैं। लगातार आपात कालीन सेवाएं बाधित होने के कारण संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं के संचालक ने ९ जुलाई को कंपनी को काली सूची में डालने के लिए नोटिस जारी किया। इसमें साफ लिखा गया है कि कंपनी के आंतरिक कारणों से आपातकालीन सेवाओं में बाधा स्वीकार योग्य नहीं है। इसके अलावा यदि कंपनी के कर्मचारियों द्वारा फिर से हड़ताल की गई तो कंपनी को काली सूची में डाला जाएगा। अहम बात यह है कि तब से आज तक हड़ताल जारी है, लेकिन कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस संबंध में पूर्व संचालक रानू साहू से बात की गई तो उन्होंने कंपनी को एक आखिरी मौका देने की बात कही थी।
स्वास्थ्य सेवाएं छत्तीसगढ़ के संचालक आर प्रसन्ना ने कहा कि मुझे इस संबंध में अभी जानकारी नहीं है। मैंने दो दिन पहले ही पदभार ग्रहण किया है। फाइल देख कर ही कुछ बता पाउंगा।
कांग्रेस प्रवक्ता शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा कि टेंडर के समय ही शासन को आगाह किया था कि कंपनी श्रम नियमों का उल्लंघन कर रही है। लेकिन कंपनी के प्रति प्रेमवश कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब कंपनी को नोटिस देकर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है।