मंत्रिपरिषद में चर्चा के बाद इसमें परिवहन व्यय को भी जोड़कर गोबर का दाम 2 रुपए प्रति किलो निर्धारित कर दिया गया। योजना के तहत प्रदेश में स्थापित गोठान में गोवंशीय और भैसवंशीय पशुपालकों से गोठान समितियों के माध्यम से गोबर क्रय कर उससे वर्मी कम्पोस्ट एवं अन्य उत्पाद तैयार किया जाएंगे। सरकार का दावा है, इससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। वहीं ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। गौपालन एवं गो-सुरक्षा को प्रोत्साहन मिलेगा। खुली चराई पर रोक लगेगी, द्विफसली क्षेत्र के विस्तार के साथ ही पशुपालको को आर्थिक लाभ प्राप्त होगा। हरेली पर्व यानी 20 जुलाई से इस योजना की शुरुआत होनी है।
पहले इसे 2200 गोठानों से करने की योजना थी। मंत्रियों ने तैयार हुए सभी गोठानों को योजना में शामिल करने को कहा। अब प्रदेश के 5300 गोठानों से यह योजना शुरू होगी। इनमें से 2408 गोठान ग्रामीण क्षेत्रों में और 377 शहरी क्षेत्रों में बने हैं। अफसरों ने बताया, योजना में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट को सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को 8 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध कराया जाएगा।
कृषि ऋण में भी शामिल
गोबर की इस खाद को फसली ऋण के साथ भी जोड़ दिया गया है। मंत्रिपरिषद ने लैम्पस एवं प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति के अल्पकालीन कृषि ऋण के अंतर्गत सामग्री घटक में जैविक खाद (वर्मी कम्पोस्ट) को शामिल करने का अनुमोदन कर दिया।