बस्तर से सरगुजा और दुर्ग संभाग के विभिन्न काष्ठागारों में रखी हुई लकडिय़ों का विक्रय करने के लिए चार से पांच बार निविदा जारी की गई थी। लेकिन, स्थानीय निकाय और पंचायत की आचार संहिता के चलते निरस्त करना पड़ा। इसके शिथिल होते ही मार्च में निविदा जारी होते ही लॉकडाउन लगाया गया था। इसके चलते सभी प्रक्रियाओं को निरस्त करना पड़ा था। इन लकडिय़ों को तस्करी करने और माओवादियों से सुरक्षित रखने के लिए वनरक्षकों को भी तैनात किया गया है।
इतनी लकड़ी राज्य के विभिन्न वनमंडलों में इस समय करीब 30 हजार घनमीटर से अधिक इमारती लकडिय़ा रखी हुई है। इसमें प्रमुख रूप से साल, सागौन, बीजा, शीशम, हल्दू, साजा, धावड़ा, नीलगिरी, तिन्सा सहित अन्य लकडिय़ों के च_े और चिरान रखे हुए हंै। इसकी कीमत करीब 1 अरब रुपए बताई जाती है। वहीं टिंबर कारोबार भी बंद होने के कारण विभागीय स्तर पर कोई पहल नहीं की गई है। टिंबर व्यापारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष लखमसी भाई पटेल ने बताया कि लॉकडाउन के चलते करीब 800 करोड़ रुपए का कारोबार प्रभावित हुआ है। नीलामी नहीं होने के 2500 आरा मिल बंद पड़ी हुई है।
कारोबारियों को छूट मिलेगी कारोबारियों को आर्कषित करने के लिए उनके ई-पास तुरंत बनाने और अल्प प्रवास पर आने वाले के स्वास्थ्य की जांच के लिए परेशान नहीं किया जाएगा। साथ ही प्रवास और वापसी के बाद आइसोलेशन में रहने से छूट दी गई है। बताया जाता है कि राज्य में कारोबारी गतिविधियों को संचालित करने के लिए नियमों में सरलीकरण करने के निर्देश दिए गए है। बता दें कि राज्य और एक से दूसरे जिले में जाने के लिए ई-पास को अनिवार्य किया गया है।
पीपीसीएफ राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देश पर सभी वनमंडलों में 7 जून से लकडिय़ों का विक्रय करने निविदा जारी होगी। साथ ही बारिश के पहले ही सभी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।