इंडोर स्टेडियम में भी गई जानें- 17 अप्रैल 2021 – राजधानी के इंडोर स्टेडियम में अस्थायी कोविड केयर सेंटर बनाया गया था। इस सेंटर ऑक्सीजन की कमी से कई मरीजों की मौत की खबरें सामने आईं। भाजपा ने इसे मुद्दा बनाया। सांसद, विधायकों ने सरकार पर ऑक्सीजन सुविधा न मुहैया करवाने का आरोप भी लगाया था।
– खरोरा स्थित एक निजी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के चलते 4 कोरोना मरीजों की मौत हुई। घटना 19 अप्रैल 2021 की है। परिजनों ने इस मामले में लापरवाही का आरोप लगाया था। घटना का वीडियो भी सामने आया। परिजनों की शिकायत के बाद अस्पताल सील कर दिया गया।
मेरे भाई केशला (खरोरा) निवासी पप्पू देवांगन कोरोना पॉजिटिव थे। उन्हें 10 अप्रैल को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां पर उन्हें ऑक्सीजन पर रखा गया था। 19 अप्रैल की रात 12.30 बजे अचानक ऑक्सीजन सप्लाई बंद हो गई। अस्पताल प्रबंधन ने ऑक्सीजन न होने की बात कही थी। और फिर पप्पू की मौत हो गई। एक अन्य ने दम तोड़ा था। 3 घ्ंाटे ऑक्सीजन सप्लाई ठप थी। हमारी शिकायत पर कार्रवाई हुई।
राज्य में कोरोना से मरने वाले व्यक्तियों के मृत्यु प्रमाण-पत्र में मौत का कारण ‘कोरोना’ है, यह नहीं लिखा जा रहा है। कॉर्डियक अरेस्ट, ब्रेन हेमरेज, ब्रेथलेसनेस, सांस लेने समेत अन्य कारण लिखे। जिसे कोमोर्बिड नाम दिया गया है।
कोरोना की पहली लहर : 18 मार्च 2020 को पहला मरीज मिले, सितंबर 21 में कोरोना पीक पर पहुंचा। 28 फरवरी तक 3835 मौतें रिपोर्ट हुईं। कोरोना दूसरी लहर : 8 मार्च 2021 से मरीज बढऩे शुरू हुए और अप्रैल में कोरोना पीक पर पहुंचा। दूसरी लहर अभी भी जारी है। दूसरी लहर में अब तक ९६६९ जानें जा चुकी हैं।
देखिए, संसद और विधानसभा जैसे संस्थानों में अगर कोई व्यक्ति किसी बात को रखता है तो पूरी जिम्मेदारी के साथ रखता है। झूठ कोई नहीं कहेगा। झूठ कहेगा तो प्रिब्लिेज का मामला बनता है। वैसे भी यह संसद का मामला है।
– अजय चंद्राकर, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री एवं भाजपा विधायक
– शिवरतन शर्मा, उपाध्यक्ष भाजपा एवं विधायक
केंद्र ने जो रिपोर्ट रखी है, वो राज्य सरकार द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर ही रखी है। मुझे लगता है कि जो बीत गया, वो बीत गई। यह आरोप-प्रत्यारोप का समय नहीं है। कोरोना से मिलकर लडऩे का समय है।
– राजेश मूणत, भाजपा प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व मंत्री
एक समय जिन्हें जरुरत नहीं थी, वे भर्ती हो जा रहे थे। जिन्हें जरुरत थी, उन्हें बेड नहीं मिल रहे थे। ऑक्सीजन की कमी थी कि नहीं यह शोध का विषय है। मगर, ऑक्सीजनयुक्त बेड की कमी थी। जो मरीज घरों में थे, गंभीर अवस्था में अस्पताल लाए जा रहे थे, उनकी मौत ऑक्सीजन की कमी से हो सकती है।
बिल्कुल, सही नहीं है। नैतिक रूप से कोई राज्य यह नहीं कह पाएगा कि ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई है। छत्तीसगढ़ ने दूसरे राज्यों को ऑक्सीजन सप्लाई की।स्वास्थ्य प्रणाली की कमी को राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार करना होगा। बिस्तर नहीं था, इसलिए ऑक्सीजन नहीं मिली सही है।
रायपुर जिले में ऑक्सीजन की कमी नहीं थी।लोगों ने जमकर लापरवाही बरती, जिसकी वजह से मौतें हुईं। तबीयत खराब होने के बावजूद लोग घरों में ही इलाज करा रहे थे। अप्रैल में मरने वालों में हर तीसरा व्यक्ति ऐसा था जिसकी मौत भर्ती होने के 24 घंटे के अंदर हो जा रही थी।
– डॉ. मीरा बघेल, सीएमएचओ, रायपुर
ऑक्सीजन की वजह से कोई डेथ नहीं हुई है, हम ऑक्सीजन के मामले में सरप्लस स्टेट रहे। हमने दूसरे राज्यों को ऑक्सीजन दी थी। प्रबंधन में कहीं न कहीं लॉस्ट मिनट में बैकअप कैसा था, नहीं था। २-४ मिनट का ऑफ हुआ होगा मगर ऑक्सीजन न मिलने से मौत की जानकारी नहीं है।
– टीएस सिंहदेव, स्वास्थ्य मंत्री