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कुलपति नियुक्ति का अधिकार छोडऩे को तैयार नहीं हैं राज्यपाल, समझाने के लिए राजभवन पहुंचे चार मंत्री

locationरायपुरPublished: Jul 09, 2020 08:11:54 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति ने मार्च 2019 में इस्तीफा दे दिया था। दिसंबर में नए कुलपति की चयन प्रक्रिया शुरू हुई। मार्च में राज्यपाल ने राज्य सरकार की अनुशंसा की अनदेखी कर बलदेव राज शर्मा को कुलपति बना दिया। शर्मा आरएसएस पृष्ठभूमि के हैं। इसकी वजह से राज्य सरकार और राजभवन में अधिकारों की लड़ाई तेज हुई ।

रायपुर. छत्तीसगढ़ में राज्यपाल और सरकार के बीच टकराव का एक और मैदान तैयार हो गया है। राज्यपाल अनुसुईया उइके विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति और हटाने का अधिकार छोडऩे को तैयार नहीं हैं। ऐसे में उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक सहित संबंधित विधेयकों पर हस्ताक्षर से लगभग इनकार कर दिया है। सरकार के चार मंत्री कृषि मंत्री रविंद्र चौबे, वन मंत्री मोहम्मद अकबर, नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया और उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल गुरुवार को राजभवन पहुंचे थे।

करीब घंटे भर की मुलाकात में मंत्रियों ने राज्यपाल को सरकार का पक्ष समझाने की कोशिश की। राज्यपाल की आपत्तियों का जवाब दिया। मुलाकात के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया, यह महामहिम के साथ सौजन्य भेट थीं। बजट सत्र में विश्वविद्यालयों के कुछ संशोधन विधेयक सदन में पारित किए थे, वे महामहिम राज्यपाल के दफ्तर में आगे बढ़ नहीं पाए हैं। कोविड-19 के चलते हालांकि विश्वविद्यालयों में कक्षाएं नहीं लग रही हैं। इसके बाद भी जो वैधानिक विषय हैं, कहीं कुलपति चयन का मामला है।

कहीं ग्रांट का मामला है। ऐसे में इन विधेयकों पर राज्यपाल की सहमति आवश्यक है। हम लोग आग्रह करने आए थे कि लंबित विधेयकों पर स्वीकृति प्रदान की जानी चाहिए। वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा, राज्यपाल से आग्रह किया गया है. उन्होंने यूजीसी के अधिकारियों से बात करने के बाद हस्ताक्षर की बात कही है। इधर राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा, विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक पर केंद्रीय विधि मंत्रालय और यूजीसी से सलाह मशविरा करे बिना साइन नहीं करूंगी। जरूरत महसूस हुई तो राष्ट्रपति से सलाह लेंगी।

मैंने 15 अप्रैल को पत्र भेजकर इस विधेयक को लेकर कुछ सवालों के जवाब मांगे थे। मुझे वे जवाब अभी 5-6 दिन पहले मिले हैं। उसमें भी अभी संशय की स्थिति है। राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा, मेरा मकसद फाइलों को रोकना नहीं है, लेकिन कुलाधिपति के तौर पर मेरे लिए पूरी कानूनी प्रक्रिया को समझना जरुरी है। राज्यपाल के इस रुख के बाद इन विधेयकों का क्या होगा यह देखना दिलचस्प होगा। तब तक कई विश्वविद्यालयों में कुलपति चयन की प्रक्रिया का टलना लगभग तय है।

यह है विवाद की वजह

कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति ने मार्च 2019 में इस्तीफा दे दिया था। दिसंबर में नए कुलपति की चयन प्रक्रिया शुरू हुई। मार्च में राज्यपाल ने राज्य सरकार की अनुशंसा की अनदेखी कर बलदेव राज शर्मा को कुलपति बना दिया। शर्मा आरएसएस पृष्ठभूमि के हैं। इसकी वजह से राज्य सरकार और राजभवन में अधिकारों की लड़ाई तेज हुई और सरकार ने 25 मार्च को मंत्रिपरिषद का अनुमोदन लेकर 26 मार्च को विधानसभा में कानून में बदलाव वाला विधेयक पारित कर राज्यपाल का अधिकार सीमित करने की कोशिश की है।

क्या हुआ है बदलाव

अभी तक कुलपति चयन के लिए बनी समिति में यूजीसी, राजभवन और राज्य सरकार के एक-एक प्रतिनिधि होते थे। वे एक-एक नामों का सुझाव देते थे। राज्यपाल उनमें से किसी एक को कुलपति नियुक्त कर सकते थे। अब सरकार ने राज्य सरकार के सुझाव को मानना बाध्यकारी कर दिया है।

यूजीसी को आधार बनाकर आपत्ति

राज्यपाल ने 2018 में आई यूजीसी की गाइडलाइन को आपत्ति का आधार बनाया है। गुरुवार को राज्यपाल ने कहा, सरकार का बदलाव यूजीसी के नोटिफिकेशन से टकरा रहा है। उसमें स्पष्ट है कि चयन समिति में यूजीसी का मेंबर होगा। अगर यूजीसी की नोटिफिकेशन का उल्लंघन होता है तो वह विश्वविद्यालयों की ग्रांट रोक सकता है।

इन विधेयकों पर है राज्यपाल का वीटो

– महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक

– छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक
– पंडित सुंदरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक

– कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय ( संशोधन) विधेयक
– इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय ( संशोधन) विधेयक

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