कलेक्टर ने किसानों के खेती-किसानी की तैयारियों को विशेष ध्यान में रखते हुए कहा कि जिले को मिले खाद-बीज के आबंटन के आधार पर समितियों के माध्यम से पंजीकृत किसानों को वितरण सुनिश्चित करें।
आपूर्ति की भारी कमी-
बैठक में यह भी बताया गया कि जिले में डीएपी खाद की मांग अधिक है लेकिन मांग की तुलना में कम है। डीएपी खाद के विकल्प में सिंगल सुपर फास्फेट खाद खेती-किसानी के लिए उपयोगी है। कलेक्टर ने अधिकारियों से कहा कि डीएपी खाद के विकल्प के रूप में खेती-किसानी के लिए सिंगल सुपर फ ास्फेट खाद की महत्व को किसानों को बताने की जरूरत है। कृषि विभाग के अधिकारी अपने अमलों के माध्यम से किसानों को खेती-किसानी के लिए समसमायिक उचित और सही सलाह दें।
5263 क्विंटल बीज किया जा चूका है वितरित-
बैठक में बताया गया कि जिले के कृषकों को विभिन्न फसलों के 5263 क्विंटल बीज समितियों के माध्यम से वितरण किया जा चुका है। समितियों में अभी भी धान, कोदो व अरहर का कुल 450 क्विंटल बीज उपलब्ध है। समीक्षा बैठक में कलेक्टर ने अधिकारियों को समय पर खाद व बीज का शत-प्रतिशत् वितरण कराने निर्देश दिए। डीएपी के स्थान पर एसएसपी का उपयोग करने के लिए कृषकों को मैदानी अमलों के माध्यम से सलाह देने के लिए भी निर्देश दिए।
मांग पर पत्र लिखा-
बैठक में कृषि उपसंचालक एमडी डड़सेना ने बताया कि जिले के खाद भण्डारण का कुल लक्ष्य 41 हजार 750 मीट्रिक टन के विरूद्ध 32 हजार 167 मीट्रिक टन उर्वरक प्राप्त हो चुका है। डीएपी की आपूर्ति अपेक्षाकृत कम हुई है। इसलिए आपूर्ति सुनिश्चित कराने के लिए मार्कफेड को पत्र लिखा गया है। 29 हजार 695 मीट्रिक टन खाद का भण्डारण समितियों में किया गया है और 26 हजार 150 मीट्रिक टन खाद का वितरण कृषकों को किया जा चुका है।